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Tuesday, November 19, 2024

मोक्ष वेद





1. शुद्र 
शक्तिमान के साथ आदर्शो के विपरीत होना।
1. झूठ नहीं बोलना।
2. चोरी नहीं करना।
3. हिंसा नहीं करना।
4. अपने से बड़े और बुजुर्गों की इज्जत करना।
5. दूसरों की मदद करना।
6. स्वावलंबी बनाना।
7. कभी नशा नहीं करना।


मनुष्य की मुलभूत चीजें भोजन वस्त्र मकान ।

2.वैश्य
शक्तिमान के साथ आदर्श।
1. झूठ नहीं बोलना।
2. चोरी नहीं करना।
3. हिंसा नहीं करना।
4. अपने से बड़े और बुजुर्गों की इज्जत करना।
5. दूसरों की मदद करना।
6. स्वावलंबी बनाना।
7. कभी नशा नहीं करना।

मनुष्य की मुलभूत चीजें भोजन वस्त्र मकान ।

3. क्षत्रिय
शक्तिमान के साथ आदर्श।
1. झूठ नहीं बोलना।
2. चोरी नहीं करना।
3. हिंसा नहीं करना।
4. अपने से बड़े और बुजुर्गों की इज्जत करना।
5. दूसरों की मदद करना।
6. स्वावलंबी बनाना।
7. कभी नशा नहीं करना।

शक्तिमान के साथ आदर्श।
काम,क्रोध,मोह,लोभ,मद तथा मत्सर पर नियंत्रण करना।

हमेशा मुख में 'ओम मंत्र' का गुंजना।

पंच ज्ञान इन्द्रियों में नियंत्रण।
ज्ञान इंद्रियां - आंख,नाक,कान,जीभ और त्वचा।

पंचतत्व - अग्नि,जल,वायु,पृथ्वी और आकाश।

मनुष्य की मुलभूत चीजें भोजन वस्त्र मकान ।

भय,क्रोध,चिंता और खिन्नता को नियंत्रिण करना या मुक्त होना।

यह छः अवगुणों पर नियंत्रण।
1. काम 
2. क्रोध 
3. मोह
4. लोभ 
5. मद 
6. मत्सर

योग,प्राणायाम,जप तप, ध्यान को अपने जीवन में अपनाना अनिवार्य।

जब योग और मुद्रा का अभ्यास किया जाता है, तो चक्र संतुलित हो जाते हैं और हमारी प्रणाली को शारीरिक और भावनात्मक दोनों ही तरह से एक स्थिर, संतुलित तरीके से कार्य करने में सक्षम बनाते हैं। इन में कुछ योग आसन शामिल हैं:

जब तक चक्र जागृत ना हो तब तक इंसान को उसके होने का पता भी नहीं चलता है। जब यह जागृत होता है तभी उस चक्र का होने का इंसान को अनुभव होता है।

परिभाषा।
1. काम - (आलस्य)
1.   दोस्तों काम आधारित आलस्य आलस्य निर्धनता की जननी है आलस्य करने से मनुष्य का विभिन्न तरह से नुकसान होता है दोस्तों जैसे कि आपका कीमती सामान ही कहीं पढ़ा है और बारिश हो रहा हो जाए उसे चोरी होने की आशंका हो तो भी आप आलस्य के कारण आप उसे सुरक्षित स्थान पर नहीं रखते हैं ऐसे में वह सामान चोरी हो जाती हैं और आपका व कीमती सामान चोरी होने से आपका आर्थिक रूप से नुकसान होता है यह एक छोटी सी असावधानी के कारण आपकी आलस्य के कारण।
2. क्रोध 
दोस्तों पीने के लिए कोई चीज है तो क्रोध। दोस्तों यह सत्य है परंतु यह कहां तक साथ है दोस्तों क्रोध मनुष्य को बहुत तरह से नुकसान पहुंचाता है दोस्तों क्रोध के कारण मनुष्य विभिन्न प्रकार से नुकसान कुछ मिलता है क्रोध के कारण कई बार रिश्ते नाते टूट जाते हैं। जिससे बाद में अपने क्रोध के कारण रिश्ते टूटने से हमें पछतावा होता है।
दोस्तों क्रोध के कारण कई बार हम कीमती सामानों को तोड़ देते हैं कई बार किसी अन्य के सामानों को भी तोड़ देते हैं क्रोध के कारण लोग अपने कीमती मोबाइल को भी तोड़ देते हैं टीवी को भी तोड़ देते हैं ऐसी बहुत सारे उदाहरण है दोस्तों कीमती सामानों को तोड़ते हैं नुकसान पहुंचाते हैं जबकि वह सामान हमारा अपना होता है और हमें आर्थिक रूप से नुकसान होता है और बाद में हम पछतावा होता है किसी और का भी सामान को क्षति पहुंचाते हैं जिससे हमें बाद में उसका भरपाई करना पड़ता है और इससे भी हमें पछतावा ही होता है दोस्तों।
3. मोह
दोस्तों कई बार हम मुंह में पड़ जाने के कारण अपने कर्तव्य को भूल जाते हैं हम सही रास्ते में जाने की बजाय हम उस रास्ते से भटक जाते हैं जिसे कई लोगों को बहुत दुख होता है कई लोगों को मदद करने में हम पीछे हट जाते हैं कि नहीं तो हम मदद नहीं कर पाते हैं क्योंकि हम मोह में पड़ जाते हैं दोस्तों में पड़ जाने का और भी बहुत सारे नुकसान है उदाहरण के तौर पर कोई इंसान जब किसी स्त्री के मुंह में पड़ जाता है तो उसे उसे अपने माता-पिता का भी ख्याल नहीं रहता अपने माता-पिता को भी मारपीट करता है मुंह के कारण रिश्ते नातों को भी तोड़ने पर उतारू हो जाते हैं किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में ना काम हो जाने में भी मौका भूमिका होता है जिससे लाखों लोगों के कल्याण होने की बजाय उनका कल्याण हो जाता है दोस्तों। मुंह में पड़ जाने से इंसान का कार्य क्षमता कम हो जाता है उनमें आलसी भी पड़ जाता है कार्य करने की क्षमता भी घट जाती है कान्हा में भी पड़ जाता है वह डिप्रेशन में भी चला जाता है उससे से लोग ही आना शुरू हो जाता है जो अवगुण है इसके पश्चात कोई कार्य ठीक से ना होने के कारण उसमें क्रोध भी जन्म ले लेती है दोस्तों और क्रोध के भी आ जाने के कारण मद तथा मदसर भी उस इंसान पर लागू हो जाती है दोस्तों वह उसका सेवन करने के लिए मजबूर हो जाता है।
4. लोभ 
5. मद-
6. मत्सर


सात यौगिक चक्रों को जागृत करना या होना।
1. सहस्रार चक्र- चोटी का स्थान के पास 
2.आज्ञा चक्र - दोनों भौंहों के बीच।
3. विशुद्धाख्य चक्र -कंठ में।
4.अनाहत चक्र-हृदय में।
5.
6.
7.

कल्कि - कलह क्लेश से मुक्त करने वाला।




4. ब्राह्मण
शक्तिमान के सात आदर्शों के पालन करने की साथ-साथ छः अवगुणों को नियंत्रित करना अनिवार्य है। साथ ही साथ क्षत्रिय श्रेणी के नियमों का पालन करना या अनुभवी होना।

भय,क्रोध,चिंता और खिन्नता को नियंत्रिण करना या मुक्त होना।

मनुष्य की मुलभूत चीजें भोजन वस्त्र मकान ।

सात यौगिक चक्रों को जागृत करना या होना।
यह योग, प्राणायाम,आसन, ध्यान जप,तप से संभव है।

1. सहश्रार चक्र- चोटी का स्थान के पास 
2.आज्ञा चक्र - दोनों भौंहों के बीच।
3. विशुद्धाख्य चक्र - कंठ में।
4.अनाहत चक्र-हृदय में।
5.मणिपुर चक्र - नाभिकेन्द्र में।
6.स्वाधिष्ठान चक्र - नाभि से नीचे।
7. मूलाधार चक्र - गुदा के पास।

Tuesday, June 8, 2021

-:कुछ अनमोल वचन संग्रह:-



-: कुछ अनमोल वचन:-
1. पीने के लिए कोई चीज है तो क्रोध।
2. खाने के लिए कोई चीज है तो ग़म।
3. लेने के लिए कोई चीज है तो ज्ञान।
4. देने के लिए कोई चीज है तो दान।
5.कहने के लिए कोई चीज है तो सत्य।
6.दिखाने के लिए कोई चीज है तो दया।
7.छोड़ने के लिए कोई चीज है तो अहंकार।
8. परखने के लिए कोई चीज है तो बुद्धि।
9. रखने के लिए कोई चीज है तो मान।
10. संग्रह के लिए कोई चीज है तो विद्या।
11. सफलता के लिए कोई चीज है तो प्रशांत।
12.करने के लिए कोई चीज है तो सत्संग।
13. धारण करने के लिए कोई चीज है तो संतोष।
14. त्यागने के लिए कोई चीज है तो ईष्र्या।
15. जीतने के लिए कोई चीज है तो मन।
16.बोल सको तो मीठा बोलो कड़वा बोलना मत सीखो।
17.कमा सको तो पुण्य कमाओ पाप कमाना मत 18.सिखो। लगा सको तो पेड़ लगाओ आग लगाना मत सीखो।
19. बचा सको तो जीव बचाओ जीव मारना मत सीखो।
20. जला सको तो दीप जलाओ हृदय जलाना मत सीखो। 
21. मिटा सके तो अहंकार मिटा वो प्यार मिटा ना मत सीखो।
22.  दे सको तो जीवन दे दो जीवन लेना मत सीखो।
21. बोल सको तो सच बोलो झूठ बोलना मत सीखो।
22. माता-पिता की सेवा करो उन्हें दुखी करना मत सीखो।
23.इस तरह न कमाओ कि पाप हो जाए।
24. इस तरह ना खर्च करो कि कर्जा हो जाए।
25. इस तरह न खाओ कि मर्ज हो जाए।
26. इस तरह ना चलो कि देर हो जाए।
27. इस तरह न सोचो कि चिंता हो जाए।
28. पैसे से बिस्तर खरीद सकते हो नींद नहीं।
29.पैसे से भोजन खरीद सकते हो भूख नहीं।
30.पैसे से आदमी खरीद सकते हो वफादारी नहीं।
31. पैसे से मजबूरी खरीद सकते हो खुद्दारी नहीं।
32. पैसे से दवा कर सकते हो स्वास्थ्य नहीं।
33.पैसे से नौकर खरीद सकते हो सेवक नहीं।
34. पैसे से मूर्ति खरीद सकते हो भगवान नहीं।
35.पैसे से वेश्या कर सकते हो पत्नी नहीं।
36. पैसे से मकान जमीन खरीद सकते हो पर इज्जत नहीं।

Saturday, June 5, 2021

ब्राह्मण

4. ब्राह्मण
शक्तिमान के सात आदर्शों के पालन करने की साथ-साथ छः अवगुणों को नियंत्रित करना अनिवार्य है। साथ ही साथ क्षत्रिय श्रेणी के नियमों का पालन करना या अनुभवी होना।
भय,क्रोध,चिंता और खिन्नता को नियंत्रिण करना या मुक्त होना।

मनुष्य की मुलभूत चीजें भोजन वस्त्र मकान ।

सात यौगिक चक्रों को जागृत करना या होना।
यह योग, प्राणायाम,आसन, ध्यान जप,तप से संभव है।

कल्कि - कलह क्लेश से मुक्त करने वाला।


आध्यात्मिक शक्तियों के केन्द्र : यौगिक चक्र।
1. सहश्रार चक्र- चोटी का स्थान के पास ।
2.आज्ञा चक्र - दोनों भौंहों के बीच।
3. विशुद्धाख्य चक्र - कंठ में।
4.अनाहत चक्र-हृदय में।
5.मणिपुर चक्र - नाभिकेन्द्र में।
6.स्वाधिष्ठान चक्र - नाभि से नीचे।
7. मूलाधार चक्र - गुदा के पास।



प्रवचन -

न बोलने में नौ गुण:।

अनमोल वचन संग्रह।

मोक्ष से संबंधित प्रश्न और उसके जवाब।

ओम् नमः शिवाय।
गायत्री मंत्र।

क्षत्रिय

3. क्षत्रिय
शक्तिमान के साथ आदर्श।
1. झूठ नहीं बोलना।
2. चोरी नहीं करना।
3. हिंसा नहीं करना।
4. अपने से बड़े और बुजुर्गों की इज्जत करना।
5. दूसरों की मदद करना।
6. स्वावलंबी बनाना।
7. कभी नशा नहीं करना।

सुविचारों का संग्रह।

आध्यात्मिक कहानियां,गाने,भजन,गीत, कीर्तन।

मौसम - मौसम की जानकारी।

गीता ज्ञान - की निश्चित जानकारी।

शक्तिमान के साथ आदर्श।
काम,क्रोध,मोह,लोभ,मद तथा मत्सर पर नियंत्रण करना।

हमेशा मुख में 'ओम मंत्र' का गुंजना।

पंच ज्ञान इन्द्रियों में नियंत्रण।
ज्ञान इंद्रियां - आंख,नाक,कान,जीभ और त्वचा।

पंचतत्व - अग्नि,जल,वायु,पृथ्वी और आकाश।

मनुष्य की मुलभूत चीजें भोजन वस्त्र मकान ।

भय,क्रोध,चिंता और खिन्नता को नियंत्रिण करना या मुक्त होना।

यह छः अवगुणों पर नियंत्रण।
1. काम 
2. क्रोध 
3. मोह
4. लोभ 
5. मद 
6. मत्सर

चित्र, चलचित्र- आध्यात्मिक। पुराणें, रामायण, महाभारत, श्रीमद्भगवद्गीता।

श्रीमद्भगवद्गीता के अमृतपान से साहस,हिम्मत,समता,सहजता, स्नेह,शांति,धर्म आदि दैवी गुण विकसित होते हैं तथा अधर्म और शोषण और का मुकाबला करने का सामर्थ्य आ जाता है।


ब्राहमुहूर्त में उठना चाहिए। ब्राहमुहूर्त में उठने से आयु, बुद्धि,बल एवं अयोग्यता बढ़ती है।


वेदों का स्वाध्याय।

सूर्योपासना ( सूर्य-गायत्री मंत्र) सूर्य-नमस्कार।

योग,प्राणायाम,जप तप, ध्यान को अपने जीवन में अपनाना अनिवार्य।

योग- यौगिक क्रियाएं 2। यौगिक मुद्राएं 8।  तन-मन के स्वास्थ्य हेतु सरल साधन - योगासन।18

प्राणायाम - जीवन में नवचेतना का स्रोत: प्राणायाम।
प्राणायाम का अर्थ है प्राणों का निर्माण।
जाबालोपनिषद् में प्राणायाम को समस्त रोंगो का नाशकर्ता बताया गया है। प्राणायाम के द्वारा हमारी प्राणशक्ति का अद्भुत विकास होता है।

जब योग और मुद्रा का अभ्यास किया जाता है, तो चक्र संतुलित हो जाते हैं और हमारी प्रणाली को शारीरिक और भावनात्मक दोनों ही तरह से एक स्थिर, संतुलित तरीके से कार्य करने में सक्षम बनाते हैं। इन में कुछ योग आसन शामिल हैं:

जब तक चक्र जागृत ना हो तब तक इंसान को उसके होने का पता भी नहीं चलता है। जब यह जागृत होता है तभी उस चक्र का होने का इंसान को अनुभव होता है।

परिभाषा।
1. काम - (आलस्य)
1.   दोस्तों काम आधारित आलस्य आलस्य निर्धनता की जननी है आलस्य करने से मनुष्य का विभिन्न तरह से नुकसान होता है दोस्तों जैसे कि आपका कीमती सामान ही कहीं पढ़ा है और बारिश हो रहा हो जाए उसे चोरी होने की आशंका हो तो भी आप आलस्य के कारण आप उसे सुरक्षित स्थान पर नहीं रखते हैं ऐसे में वह सामान चोरी हो जाती हैं और आपका व कीमती सामान चोरी होने से आपका आर्थिक रूप से नुकसान होता है यह एक छोटी सी असावधानी के कारण आपकी आलस्य के कारण।
2. क्रोध 
दोस्तों पीने के लिए कोई चीज है तो क्रोध। दोस्तों यह सत्य है परंतु यह कहां तक साथ है दोस्तों क्रोध मनुष्य को बहुत तरह से नुकसान पहुंचाता है दोस्तों क्रोध के कारण मनुष्य विभिन्न प्रकार से नुकसान कुछ मिलता है क्रोध के कारण कई बार रिश्ते नाते टूट जाते हैं। जिससे बाद में अपने क्रोध के कारण रिश्ते टूटने से हमें पछतावा होता है।
दोस्तों क्रोध के कारण कई बार हम कीमती सामानों को तोड़ देते हैं कई बार किसी अन्य के सामानों को भी तोड़ देते हैं क्रोध के कारण लोग अपने कीमती मोबाइल को भी तोड़ देते हैं टीवी को भी तोड़ देते हैं ऐसी बहुत सारे उदाहरण है दोस्तों कीमती सामानों को तोड़ते हैं नुकसान पहुंचाते हैं जबकि वह सामान हमारा अपना होता है और हमें आर्थिक रूप से नुकसान होता है और बाद में हम पछतावा होता है किसी और का भी सामान को क्षति पहुंचाते हैं जिससे हमें बाद में उसका भरपाई करना पड़ता है और इससे भी हमें पछतावा ही होता है दोस्तों।
3. मोह
दोस्तों कई बार हम मुंह में पड़ जाने के कारण अपने कर्तव्य को भूल जाते हैं हम सही रास्ते में जाने की बजाय हम उस रास्ते से भटक जाते हैं जिसे कई लोगों को बहुत दुख होता है कई लोगों को मदद करने में हम पीछे हट जाते हैं कि नहीं तो हम मदद नहीं कर पाते हैं क्योंकि हम मोह में पड़ जाते हैं दोस्तों में पड़ जाने का और भी बहुत सारे नुकसान है उदाहरण के तौर पर कोई इंसान जब किसी स्त्री के मुंह में पड़ जाता है तो उसे उसे अपने माता-पिता का भी ख्याल नहीं रहता अपने माता-पिता को भी मारपीट करता है मुंह के कारण रिश्ते नातों को भी तोड़ने पर उतारू हो जाते हैं किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में ना काम हो जाने में भी मौका भूमिका होता है जिससे लाखों लोगों के कल्याण होने की बजाय उनका कल्याण हो जाता है दोस्तों। मुंह में पड़ जाने से इंसान का कार्य क्षमता कम हो जाता है उनमें आलसी भी पड़ जाता है कार्य करने की क्षमता भी घट जाती है कान्हा में भी पड़ जाता है वह डिप्रेशन में भी चला जाता है उससे से लोग ही आना शुरू हो जाता है जो अवगुण है इसके पश्चात कोई कार्य ठीक से ना होने के कारण उसमें क्रोध भी जन्म ले लेती है दोस्तों और क्रोध के भी आ जाने के कारण मद तथा मदसर भी उस इंसान पर लागू हो जाती है दोस्तों वह उसका सेवन करने के लिए मजबूर हो जाता है।
4. लोभ 
5. मद-
6. अहंकार


सात यौगिक चक्रों को जागृत करना या होना।
1. सहश्रार चक्र- चोटी का स्थान के पास ।
2.आज्ञा चक्र - दोनों भौंहों के बीच।
3. विशुद्धाख्य चक्र - कंठ में।
4.अनाहत चक्र-हृदय में।
5.मणिपुर चक्र - नाभिकेन्द्र में।
6.स्वाधिष्ठान चक्र - नाभि से नीचे।
7. मूलाधार चक्र - गुदा के पास।

कल्कि - कलह क्लेश से मुक्त करने वाला।

पृथ्वी अर्थात संसार अर्थात दुनिया।
 संसार के महाद्वीप -
दुनिया के सभी देशों के नाम - जानकारी।

हमारा अपना महाद्वीप -एसिया।

एशिया महाद्वीपों की देशों की संख्या -

फिर अपना देश-भारत।
भारत देश के राज्यों की संख्या।

झारखंड राज्य के जिलों की संख्या -

हमारा जिला रांची के प्रखण्डों की संख्या।

हमारा प्रखण्ड अनगड़ा के पंचायतों की संख्या।

हमारा पंचायत कुच्चू के गांवों की संख्या।

हमारा गांव हुण्डरू के टोंलो की संख्या।

गांव - टोंलों के घरों की संख्या।


दुनिया के सभी देशों के नाम - जानकारी।

स्वास्थ्य
स्वास्थ्य ही धन है।
शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए या होने के लिए  हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखना आवश्यक होता है।
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक आहार के साथ अनेक बिमारियों से बचने के लिए बिमारियों की जानकारी और उसका इलाज की जानकारी की आवश्यकता होती है।
बिमारी फैलता कैसे हैं - 
हम ( मनुष्य ) इससे कैसे बच सकता है।



कबीर अमृतवाणी-

वैश्य

2.वैश्य
शक्तिमान के साथ आदर्श।
1. झूठ नहीं बोलना।
2. चोरी नहीं करना।
3. हिंसा नहीं करना।
4. अपने से बड़े और बुजुर्गों की इज्जत करना।
5. दूसरों की मदद करना।
6. स्वावलंबी बनाना।
7. कभी नशा नहीं करना।

मनुष्य की मुलभूत चीजें भोजन वस्त्र मकान ।

कौशल क्षमता। की कार्यों में कौशोलिक।

शुद्र

1. शुद्र 
शक्तिमान के साथ आदर्शो के विपरीत होना।
1. झूठ नहीं बोलना।
2. चोरी नहीं करना।
3. हिंसा नहीं करना।
4. अपने से बड़े और बुजुर्गों की इज्जत करना।
5. दूसरों की मदद करना।
6. स्वावलंबी बनाना।
7. कभी नशा नहीं करना।






मनुष्य की मुलभूत चीजें भोजन वस्त्र मकान ।
1. भोजन
2. वस्त्र
3. मकान


नींद लेने का समय वह स्वभाव।

नींद से उठने का समय वह स्वभाव।

कौशल क्षमता। घरेलू काम काज का थोड़ा बहुत अनुभव।

सूर्योंदय के बाद उठना। सूर्योंदय के बाद उठने से आलस्य,प्रमाद वह तमोगुण बढ़ता है, आयुष्य नष्ट होता है।

सेवा देने का कार्य करना।
मजदुरी,पत्थर तोड़ने वाला,ईंट ढोने वाला। इत्यादि।

Sunday, May 23, 2021

मनुष्य के लिए जीवन से जुड़ी जीवन की रहस्य का सवाल






 मनुष्य के लिए जीवन से जुड़ी जीवन की रहस्य का सवाल।



1. मोक्ष प्राप्त करने के बाद फिर से आम इंसान बनकर जीवन को जीना कितना आसान या कठिन होता है?

2. मोक्ष प्राप्त करने का रास्ता क्या है?

3. मनुष्य भविष्य को कैसे जान जा सकता है?

4. मनुष्य वर्तमान को कैसे परिवर्तन कर सकता है?

5. मनुष्य के सुख-दुख क्या है?

6. मनुष्य जीवन के उतार चढ़ाव किसे कहते हैं?

7. मनुष्य को शांति की आवश्यकता क्यों होती है?

8. सत् ,चित,और आनंद किसे कहते हैं?

9. सत्यम् , शिवम् , सुन्दरता किसे कहते हैं?

10. मनुष्य अपने अस्तित्व को जानने के लिए ही धरती पर जन्म लेता है क्यों?

11. मनुष्य को नींद क्यों आती है

12. मनुष्य किताबी ज्ञान से दुनिया को जान लेता है परंतु स्वयं को नहीं जान पाता है क्यों?

13. मनुष्य जन्म और मृत्यु के बंधन में क्यों आते हैं?

14. पाप और पुण्य क्या है?

15. स्वर्ग और नरक का क्या अर्थ है?

16. सत्य का क्या अर्थ है?

17. मनुष्य के जीवन की रहस्य क्या है?

18. ईश्वर का क्या अर्थ है?

19. दुनिया में युग क्यों बदलता है?

20. वेद किसे कहते हैं?

21. वेदों का निर्माण क्यों किया गया है?

22. धर्म किसे कहते हैं?

23. संसार में कई धर्म है क्यों?

24. प्रेम और मोह का क्या अर्थ है?

25. कर्म की अनुभव से स्थिति श्रेणी प्राप्त करना और यज्ञ जप ध्यान से स्थिति या श्रेणी प्राप्त करने का क्या अर्थ है?

26. वेदों के अनुसार शिव का क्रोध से धरती कांप उठती थी क्यों?

27. रामायण में राम के क्रोध से धरती का कांपने का क्या अर्थ है?

28. अमरता किसे कहते हैं?

29. वेदों के अनुसार अमृत जल पीने से कोई भी अमर हो जाता था क्यों और कैसे?

30. जब ऐसी स्थिति आ जाती है जब धरती पर अत्याचार भ्रष्टाचार अनाचार शोषण और धर्म अधर्म में बदलने लगती है तो महान आत्मा का जन्म लेना आवश्यक हो जाता है क्यों?

31. मनुष्य की सुख दुख क्या है?

32. एक ही जगह एक ही तरीके से काम करते हुए आदमी में मनुष्य में खूब पैदा होती है इसलिए वह बदलाव चाहता है वह ना होने पर उनके अंदर तनाव पैदा होता है क्यों?

33. शिव ही प्रथम और शिव ही अंत है क्यों और कैसे?

34. शिव महाकालेश्वर हैं कैसे?

35. ब्रह्मा जो लिख देते हैं जीवन में वही होता है ऐसा कहा जाता है क्यों?

36. ब्रह्मचर्य के पहले और बाद में क्या था?

37. वह व्यक्ति अमरत्व प्राप्त कर लिया है जो सांसारिक वस्तुओं से व्याकुल नहीं होता है क्यों?

38. नारायण का क्या अर्थ है?

39. ईश्वर की प्रत्येक श्रेणी एक दूसरी श्रेणी से जुड़े रहते हैं क्यों और कैसे?

40. हमें हमेशा सकारात्मक सोच अपनाना चाहिए। क्यों?

41. अच्छाई और बुराई में ईश्वर निहित है कैसे?

माता पिता हमारे जन्मदाता है उनका प्यार भगवान से भी बढ़कर है इसलिए हमें उन्हें कभी दुख नहीं देना चाहिए क्यों?

42. मनुष्य द्वारा कोई भी शुभ कार्य उचित समय में करने के समय में उस कार्य को न कर पाना कली की रुकावट है क्योंकि मनुष्य में रहकर शुभ कार्य को भविष्य पर डाल देते हैं कैसे?

42. परमानंद अर्थात मोक्ष किसे कहते हैं?

43. युग कितने हैं?

44. वेद कितने हैं?

45. मनुष्य की श्रेणी कितनी है?

46. मनुष्य की कुंडलिनी शक्ति कितनी है?

47. शक्ति के बिना शिव ही शव है कैसे?


Saturday, May 22, 2021

कल्कि अवतार




कल्कि अवतार

कलियुग में कल्कि अवतार अनेक कलाओं से निपुण हैं।

कल्कि अवतार ज्ञानी भी है और विज्ञानी भी।

अनेक कलाओं में निपुण होने के कारण दुश्मन कल्कि को हराने में असमर्थ हैं दुश्मनों और दुष्ट लोगों द्वारा रची गई कोई भी साजिश कल्कि की आसानी से व्यर्थ कर देता है।


कली युग में शिव अस्त्र का प्रयोग।

 कली युग में शिव अस्त्र का प्रयोग


कली युग में शिव अस्त्र का प्रयोग युग परिवर्तन के लिए किया गया। शिव अस्त्र का प्रयोग एक योगी महायोगी और शिव भक्त के द्वारा किया गया इस अस्त्र का प्रयोग करना महत्वपूर्ण था इसलिए इसका प्रयोग किया गया।

कोरोना शिव अस्त्र की विशेषताएं


जिसेेेेे हम जानने की कोशिश करें।

कोरोना शिव अस्त्र की विशेषताएं।
शिव अस्त्र दोस्तों जैसे कि पहले कई युगों में जैसे- त्रेता युग , द्वापर युग में श्री कृष्ण जी के पास अस्त्र होता था सुदर्शन चक्र। सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु जी के पास भी होता था उसी प्रकार से अस्त्र सभी देवी देवताओं के पास होता था। जिसका उपयोग करते थे।
उसी प्रकार से शिव अस्त्र एक ऐसा अस्त्र है जो अदृश्य है परंतु अविश्वसनीय परिवर्तन लाने की क्षमता है।
इसका विभिन्न प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है। इसे मन की इच्छा शक्ति से ही नियंत्रित किया जा सकता है।
केवल शिवभक्त ही इसका प्रयोग करने के योग्य है पात्र होते हैं। इस शिव अस्त्र से लाखों-करोड़ों दुश्मनों को एक साथ ध्वस्त करने की क्षमता निहित है।

कोरोना एक शिव अस्त्र


https://youtu.be/TgDDDHOURtw
○​
कोरोना शिव अस्त्र

जब पुरी दुनिया में कोरोना का डर तेजी से फ़ैल रही हो तब कोई इंसान निर्भय और निडर कैसे हो सकता है।
इसका एक ही जवाब है -जो इंसान  ज्ञानी हो । वहीं मनुष्य ऐसी परिस्थिति में निर्भय और निडर रह सकता है।

उसी प्रकार से जब ईश्वर की कृपा न हो,भक्त भी ईश्वर को जान नहीं पाता है। 

आज कोरोना को समझने के लिए दुनिया भटक रही है। डाक्टर्स भटक रहे हैं। परन्तु कोरोना को समझ पाने में नाकाम है।
 हमारे मन की इच्छा शक्ति से कोऱोना कंट्रोल होता है।
इससे बचाव का एकमात्र उपाय है समर्पण, सरलता, मन में लड़ाई का विचार ना होना जिससे विपरीत परिस्थिति में भी मनुष्य में शांति बनी रहती है और मनुष्य में निर्भय और निडरता का भाव आ जाता है। आत्मविश्वास बढ़ता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
जिससे इंसान सुरक्षित हो जाता है।
वह प्रतिदिन की तरह सही निर्णय ले पाता है और जीवन को शांतिपूर्ण तरीके से जीता है।


जब हम इसे दुनिया को खुद से न बताएं तो दुनिया इसे जान भी नहीं सकती है।
 हमने फेसबुक हैंडल से पहले ही बता दिया था इसे आप भी मेरे फेसबुक पेज पर चेक कर सकते हैं कि भारत सरकार करोड़ों बार भी जन्म ले ले लेकिन राष्ट्रपति महोदय राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जांच पत्र जो पत्र मैंने जो शिकायत पत्र आदरणीय राष्ट्रपति के नाम लिखा था वह हमारे झारखंड राज्य के सूचना भवन में हमेशा के लिए अटक गया और उसका जांच कराने में सरकार असमर्थ हो जाएगी क्योंकि इसमें सरकार भी स्वयं ही संलिप्त है और शोषण और अत्याचार को बढ़ावा देने वाले दुष्ट लोग भी।

ऐसे में सवाल उठता है की सरकार को चाहे झारखंड सरकार या भारत सरकार। सरकार देश को किस दिशा की ओर ले जा रही हैं।

ऐसे में हमारे लिए (कोरोना शिव अस्त्र) का प्रयोग अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और हम कुछ क्षण के लिए विश्राम कर सकेंगे और परम शांति में लीन हो सकेंगे।



कोरोना एक डर है और डर मृत्यु के समान होता है।
डर से बाहर निकलना किसी भी इंसान के लिए आसान नहीं होता है और डर का सामना न कर पाने से ज्यादातर लोगों की मृत्यु हो जाती है।
दवाइयों से डर को मिटाया नहीं जा सकता । डर के कारण इंसान अकेला हो जाता है।
डर से हमारे शरीर में अनेक बदलाव होते हैं इससे हमारे शरीर में भाई क्रोध चिंता और खिन्नता का भाव उत्पन्न हो जाता है यह जैसे ही जैसे हमारे शरीर में मन मस्तिष्क में बढ़ता जाता है उसी के प्रकार से हमारे शरीर में अनेक बदलाव होते रहते हैं और हमारा शरीर कमजोर बन जाता है हम शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हो जाते हैं। तो यह मनुष्य के लिए काल बन जाता है। यही मृत्यु का कारण बन जाता है।
भाई क्रोध चिंता और खिन्नता से हमारे शरीर में रक्त संचार अनियमित हो जाती है जिससे हमारा शरीर मनुष्य का शरीर कमजोर हो जाता है शारीरिक रूप से भी कमजोर हो जाता है और मानसिक रूप से भी।
इससे मनुष्य और भी सिमटता चला जाता है।
उचित खान-पान न होने के कारण शरीर दिनों दिन और भी कमजोर होता चला जाता है और इंसान मृत्यु के करीब पहुंच जाता है प्राण त्यागने के करीब पहुंच जाता है।

इसी प्रकार से मेरे पिता स्व० बलराम बेदिया की मृत्यु हुई।
पर्यटनकर्मी राजकिशोर प्रसाद द्वारा मेरे पिता  स्व० बलराम बेदिया को धमकी दी गई थी ।
 मेरे द्वारा फुल बागवानी अर्थात पार्क के सामानों को राजकिशोर प्रसाद ने मेरे पिताजी द्वारा हटवाया।
SP,DSP का डर दिखाकर। जिसमें लाखों रूपयों का नुक़सान हुआ। इस साजिश में राजकिशोर प्रसाद सहित सिकिदिरी थाना के पुर्व थाना प्रभारी प्रवीण कुमार सिन्हा भी संलिप्त रहा।
गांव के ही कई दुष्ट लोगों के द्वारा साजिश बनाकर मेरे पिता के और कई  ग्रामीणों की मौजूदगी में मुझे सर्मिंदा किया गया।


हमने हमारे गांव का गुलाम और महागुलाम होने से संबंधित माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को पत्र लिखा।
प्रधानमंत्री कार्यालय से जांच पहुंचा ।
जांच करने हमारे प्रखंड कार्यालय से BDO संध्या मुण्डु जी बिना किसी सुचना के अचानक हमारे गांव पहुंचे।
करीब 1-2 से रहा था। इसके बाद सिकिदिरी थाना के पुलिस प्रशासन भी पहुंची।

बिना सुचना के जांच में आने आने से मेरे गांव में दो-चार ही लोग थे। फिर गांव के नजदीक हुण्डरू फांल  प्यर्टन स्थल पहुंचे। यहां प्यर्टनकर्मी राजकिशोर प्रसाद के परिवार के द्वारा शौचालय को व्यक्तिगत गोदाम बनाने का शिकायत पर जांच करना था। पर्याप्त लोग मौजूद न होने के कारण इसे झूठा साबित किया गया।

मैं समझ गया कि सिकिदिरी थाना  पुलिस प्रशासन भी हमारे गांव के गुलामी में संलिप्त हो चुका है। मेरे ही एक मुद्दा में। इस दौरान सिकिदिरी थाना प्रभारी प्रवीण कुमार सिन्हा ने मुझे कहा था कि इसका सादी करा दो तभी सुधरेगा।

यहां जांच पत्र में लिखा गया कि मैंने जो शिकायत लिखा था वह गलत पाया गया। मुझे उसमें हस्ताक्षर कराया गया।
मैंने हस्ताक्षर कर दिया।
इन सभी साजिशकर्ता को बाद में सबक सिखाएंगे।
क्योंकि सिर्फ कुछ माह पहले मेरे पिता स्व० बलराम बेदिया का साजिश के तहत मृत्यु हो चुकी थी। जिसमें प्यर्टनकर्मी
राजकिशोर प्रसाद और सिकिदिरी थाना प्रभारी श्री 
प्रवीण कुमार सिन्हा जी सामिल थे।

इस साजिश से बचने के लिए हमारे गांव के एक-दो पर्यटन कर्मी छोड़ सभी को दोषी ठहराया गया है।
मैंने RTI के माध्यम से सिकिदिरी थाना में जवाब मांगा तो 
हमारे गांव के प्यर्टनकर्मीयों का नाम आया।
जो निर्दोष हैं।

सिकिदिरी थाना में मैंने लिखित तौर पर शिकायत पत्र उपलब्ध कराने के लिए पत्र दिया तो मुझे गलत पत्र उपलब्ध कराया गया।
मैंने सिकिदीरी थाना में ही बोल दिया कि मुझे जानते नहीं हैं मैं देश का खजाना करा दुंगा।

मैंने आदरणीय राष्ट्रपति महोदय जी को पत्र लिखा- शिकायत पत्र लिखा मेरा गांव गुलाम ही नहीं बल्कि  निरन्तर अत्याचार और शोषण के कारण महागुलाम बना हुआ है।
राष्ट्रपति कार्यालय से जांच सूचना भवन ,रांची , झारखंड में हमेशा के लिए अटक गया।
इस जांच के होने से सभी दुष्ट लोग सलाखों के पीछे पहुंच जाते।

जांच नहीं होने के कारण मैंने निर्णय लिया कि मेरे कि मृत्यु हुई है। इसलिए फिलहाल मझे खुद को छोड़ अपने परिवार में अपनी मां को संभालना चाहिए।
मैं तो शिव का रूप,अवतार हुं। मुझे तो कुछ नहीं होगा।
मेरे परिवार में तीन सदस्य हैं ,मैं,मेरी मां और बहन।

दुष्ट लोगों और दुषमनों ने मुझे बताने, परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
कई कार्यो में साजिस के तहत विभिन्न तरह से मुझे,पीछे हटाने, मजबुर और कमज़ोर करने की कोशिश किया गया।

मुझे कई लाखों रुपए का नुक़सान भी हुआ।
'शक्तिमान' बनने के दौरान लिए गए प्रण के कारण मैं इन दुष्ट लोगों और दुषमनों के दैविक शक्ति का प्रयोग नहीं किया। अवतार भी हूं और कुछ मजबुरियां भी ।

14 मई 2017 में मेरे पिता की मृत्यु के बाद मैंने 3 साल का ब्रेक लेने का डिसिजन लिया।

मैंने मेरे गांव में प्यर्टन स्थल में प्यर्टनकर्मी राजकिशोर प्रसाद के खिलाफ भी मुख्यमंत्री सचिवालय झारखंड सरकार को पत्र लिखा।
झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री श्री रघुवीर दास जी थे।
शिकायत पत्र झारखंड सरकार के पर्यटन विभाग में जाकर हमेंशा के लिए अटक गया।

हमारे गांव में बाहरी लोगों का मेरे गांव में बसने के बाद अनेक शोषण और अत्याचार ,फुड डालों राज करो। कि निती अपनाई गई। इसके कारण गांव गुलाम बना हुआ था।
मेरे गांव के लोगों के अधिकारों का अधिकतर हनन और दोहन किया गया।
इसी प्रकार का शोषण मेरे परिवार के साथ हुआ। यह  साजिश के तहत किया गया । जिसकी उम्मीद ही नहीं थी।
मेरे परिवार की स्थिति गंभीर हो चुकी थी।
घर में 10 रूपये पैसे भी नहीं थे।

फिर मैं अपने वास्तविक स्वरूप, स्वरूप में चला गया और विचार विमर्श कर निर्माण लिया कि अब मुझे अपना रूद्र रूप दिखाने का समय आ गया है। अब मुझे अपनी दैविक शक्ति और शस्त्र का प्रयोग सकारात्मक है।

जिसे दुनिया में नाम मिला कोरोना
वह हमारे द्वारा चलाया गया अभेद अस्त्र शिव अस्त्र है।
जिसे (कोरोना शिव अस्त्र) कहा जा सकता है।
जिस तरह से राक्षसों ने शस्त्र से शिव पर प्रहार करने की कोशिश की तो वह प्रहार वापस उसी राक्षस पर हो जाता था। यह प्रकृति का स्वरूप है।
इसलिए ज्ञानी और अनुभवी व्यक्ति से सीखने की कोशिश करनी च
इंसान को ज्ञानी बनने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए ना की किसी ज्ञानी व्यक्ति को मूर्ख बनाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए और ने उसके साथ छल कपट करने की कोशिश करनी चाहिए। नहीं उसकी सरलता को उसकी कमजोरी समझना चाहिए।

1. इसमें मुझे ,झारखण्ड सरकार और भारत सरकार को सबक सिखाना होगा। क्योंकि सिस्टम में भ्रष्टाचार है।
तो गरीब,बेबस और लाचार आदिवासी लोगों का कौन सुनेगा।
ऐसे ही भ्रष्टाचार के कारण मेरा गांव गुलाम बना हुआ था।
और भारत का सिस्टम शिव अवतार को भी धोखा दे रहा है। इसलिए सबक सिखाना अनिवार्य हुआ।

2. मेरे परिवार में जैसी स्थिति उत्पन्न हुई वैसी स्थिति हमारे देश भारत सहित पुरी दुनिया में लागु हो। जिससे दुनिया तक को पता चले कि अत्याचार,शोषण और गुलामी क्या चीज़ होती है। 
दुनिया को यह पता चलें कि जीवन में पैसों का क्या मोल है। धन-दौलत कितना काम आता है।

हमने अपने और अपने परिवार के लाखों रूपयों का खर्च किया स्वयं को ज्ञानी और अनुभवी बनाने के लिए।

3. इस कलियुग में कल्कि ( कर्म के अनुसार नाम पड़ता है।)
अवतार होने के कारण मुझे इस युग को भी परिवर्तन करना था। इसलिए हमने युग परिवर्तन का भी निर्माण लिया।

4. अपनों को खोने का ग़म और दर्द मेरे परिवार ने सहन किया और कर रहा है। इसे पुरी दुनिया में लागु करने का निर्णय लिया। जो कांड हमारे परिवार में उत्पन्न हुई । उसे पुरी दुनिया में लागु करने का निर्णय लिया।

5. मेरे साथ साजिश के तहत की बार दुर्व्यवहार हुआ।
जिसमें दुष्ट लोगों के साथ पुलिस प्रशासन भी शामिल रही। कई बार सिकिदिरी पुर्व थाना प्रभारी प्रविण कुमार सिन्हा जी के द्वारा दुर्व्यवहार किया गया।



पुर्व थाना प्रभारी चन्द्रशेखर चौधरी जी ने 
थाना परिसर में धमकी दिया कि तुम जल्दी ही नप जाओगे। उस समय मैंने कुछ नहीं कहा।
और मन में सोचा कि हम शिव का अवतार हैं हमारे
क्रोध से अनजान हैं। जब हम नापेंगे ना पुरा भारत का सिस्टम नपा जाएगा और दुनिया नपा जाएगा।
अंतरिक्ष में भी उल्कापिंड पृथ्वी से टकराने के लिए उतारू हो जाएंगे।
दनिया में प्रलय आ जाएगा।

 एक बार थाना परिसर में मोटरसाइकिल का चाभी लेकर दुर्व्यवहार किया। मैंने मोटरसाइकिल थाने में छोड़कर अपने घर चला आया।

एक बार हुण्डरू पर्यटन स्थल से मेरे हाथ से मोबाइल छिनकर अपने साथ सिकिदिरी थाना ले गये।
कई बार दबंगई की।

इसलिए पुलिस विभाग को भी सबक सिखाने और कर्तव्यनिष्ठ बनाने का निर्णय लिया।

हमारी मन की शांति को भंग करने का अंजाम दुनिया में प्रलय ला सकती है। अंततः मुझे अपने अस्त्र का प्रयोग करना पड़ा । जिसका जिम्मेदार भारत का सिस्टम है। 

भारत सरकार के लिए यह कहावत ( अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना ) सही तौर पर सार्थक करती है।


मैं क्रोध करना नहीं चाहता हूं इसलिए किसी की सरलता को उसकी कमजोरी समझने की भूल ना करें किसी की सरलता उसकी कमजोरी नहीं होती है।

विनम्रता मनुष्य का उत्तम गुण होता है इसे भी किसी की कमजोरी समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।

कोरोना काल
कोरोना काल में प्रशासन सरकार और आम जनता के बीच कई प्रकार से झड़प विद्रोह को देखा गया
कई ऐसे मुद्दे देखे गए जिसमें पुलिस आम लोगों को मारपीट  कर रहा है।
कई बार लोगों ने पुलिस पर या अन्य लोगों ने पत्रकारों को कहा कि कोरोना कोई चीज नहीं है हमें कुछ नहीं होगा तो इसमें प्रशासन ही उस व्यक्ति के लिए काल बन गया एक बार एक रिपोर्टर ने उस व्यक्ति को ही थप्पड़ जड़ दिया और इसी प्रकार से दुनिया में मीडिया के माध्यम से सोशल मीडिया के माध्यम से डर दिन दुगनी रात चौगुनी लोगों के बीच फैलती गई लोगों में दहशत बनती गई लोगों में डर समाती गई और फिर डर अपना काम करती गई।

मोक्ष वेद

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