Showing posts with label fitness. Show all posts
Showing posts with label fitness. Show all posts

Sunday, August 27, 2023

जीवन की अनमोल वचन संग्रह। Thoughts,quotes,

 

जीवन की अनमोल वचन संग्रह।


दोस्तों जीवन में अनमोल वचनों का महत्वपूर्ण भूमिका होती है यह अनमोल वचन जीवन को सरल बनाती है जीवन को शांतिपूर्ण बनाती है और मानवता में प्रेम को बढ़ाती है।


01.जीवन की अनमोल वचन संग्रह।

02.जीवन की अनमोल वचन संग्रह।

03.जीवन की अनमोल वचन संग्रह।

04.जीवन की अनमोल वचन संग्रह।
05.जीवन की अनमोल वचन संग्रह।

06.जीवन की अनमोल वचन संग्रह।

07.जीवन की अनमोल वचन संग्रह।

08.जीवन की अनमोल वचन संग्रह।
09. जीवन की अनमोल वचन संग्रह।

10. जीवन की अनमोल वचन संग्रह।

Saturday, June 5, 2021

क्षत्रिय

3. क्षत्रिय
शक्तिमान के साथ आदर्श।
1. झूठ नहीं बोलना।
2. चोरी नहीं करना।
3. हिंसा नहीं करना।
4. अपने से बड़े और बुजुर्गों की इज्जत करना।
5. दूसरों की मदद करना।
6. स्वावलंबी बनाना।
7. कभी नशा नहीं करना।

सुविचारों का संग्रह।

आध्यात्मिक कहानियां,गाने,भजन,गीत, कीर्तन।

मौसम - मौसम की जानकारी।

गीता ज्ञान - की निश्चित जानकारी।

शक्तिमान के साथ आदर्श।
काम,क्रोध,मोह,लोभ,मद तथा मत्सर पर नियंत्रण करना।

हमेशा मुख में 'ओम मंत्र' का गुंजना।

पंच ज्ञान इन्द्रियों में नियंत्रण।
ज्ञान इंद्रियां - आंख,नाक,कान,जीभ और त्वचा।

पंचतत्व - अग्नि,जल,वायु,पृथ्वी और आकाश।

मनुष्य की मुलभूत चीजें भोजन वस्त्र मकान ।

भय,क्रोध,चिंता और खिन्नता को नियंत्रिण करना या मुक्त होना।

यह छः अवगुणों पर नियंत्रण।
1. काम 
2. क्रोध 
3. मोह
4. लोभ 
5. मद 
6. मत्सर

चित्र, चलचित्र- आध्यात्मिक। पुराणें, रामायण, महाभारत, श्रीमद्भगवद्गीता।

श्रीमद्भगवद्गीता के अमृतपान से साहस,हिम्मत,समता,सहजता, स्नेह,शांति,धर्म आदि दैवी गुण विकसित होते हैं तथा अधर्म और शोषण और का मुकाबला करने का सामर्थ्य आ जाता है।


ब्राहमुहूर्त में उठना चाहिए। ब्राहमुहूर्त में उठने से आयु, बुद्धि,बल एवं अयोग्यता बढ़ती है।


वेदों का स्वाध्याय।

सूर्योपासना ( सूर्य-गायत्री मंत्र) सूर्य-नमस्कार।

योग,प्राणायाम,जप तप, ध्यान को अपने जीवन में अपनाना अनिवार्य।

योग- यौगिक क्रियाएं 2। यौगिक मुद्राएं 8।  तन-मन के स्वास्थ्य हेतु सरल साधन - योगासन।18

प्राणायाम - जीवन में नवचेतना का स्रोत: प्राणायाम।
प्राणायाम का अर्थ है प्राणों का निर्माण।
जाबालोपनिषद् में प्राणायाम को समस्त रोंगो का नाशकर्ता बताया गया है। प्राणायाम के द्वारा हमारी प्राणशक्ति का अद्भुत विकास होता है।

जब योग और मुद्रा का अभ्यास किया जाता है, तो चक्र संतुलित हो जाते हैं और हमारी प्रणाली को शारीरिक और भावनात्मक दोनों ही तरह से एक स्थिर, संतुलित तरीके से कार्य करने में सक्षम बनाते हैं। इन में कुछ योग आसन शामिल हैं:

जब तक चक्र जागृत ना हो तब तक इंसान को उसके होने का पता भी नहीं चलता है। जब यह जागृत होता है तभी उस चक्र का होने का इंसान को अनुभव होता है।

परिभाषा।
1. काम - (आलस्य)
1.   दोस्तों काम आधारित आलस्य आलस्य निर्धनता की जननी है आलस्य करने से मनुष्य का विभिन्न तरह से नुकसान होता है दोस्तों जैसे कि आपका कीमती सामान ही कहीं पढ़ा है और बारिश हो रहा हो जाए उसे चोरी होने की आशंका हो तो भी आप आलस्य के कारण आप उसे सुरक्षित स्थान पर नहीं रखते हैं ऐसे में वह सामान चोरी हो जाती हैं और आपका व कीमती सामान चोरी होने से आपका आर्थिक रूप से नुकसान होता है यह एक छोटी सी असावधानी के कारण आपकी आलस्य के कारण।
2. क्रोध 
दोस्तों पीने के लिए कोई चीज है तो क्रोध। दोस्तों यह सत्य है परंतु यह कहां तक साथ है दोस्तों क्रोध मनुष्य को बहुत तरह से नुकसान पहुंचाता है दोस्तों क्रोध के कारण मनुष्य विभिन्न प्रकार से नुकसान कुछ मिलता है क्रोध के कारण कई बार रिश्ते नाते टूट जाते हैं। जिससे बाद में अपने क्रोध के कारण रिश्ते टूटने से हमें पछतावा होता है।
दोस्तों क्रोध के कारण कई बार हम कीमती सामानों को तोड़ देते हैं कई बार किसी अन्य के सामानों को भी तोड़ देते हैं क्रोध के कारण लोग अपने कीमती मोबाइल को भी तोड़ देते हैं टीवी को भी तोड़ देते हैं ऐसी बहुत सारे उदाहरण है दोस्तों कीमती सामानों को तोड़ते हैं नुकसान पहुंचाते हैं जबकि वह सामान हमारा अपना होता है और हमें आर्थिक रूप से नुकसान होता है और बाद में हम पछतावा होता है किसी और का भी सामान को क्षति पहुंचाते हैं जिससे हमें बाद में उसका भरपाई करना पड़ता है और इससे भी हमें पछतावा ही होता है दोस्तों।
3. मोह
दोस्तों कई बार हम मुंह में पड़ जाने के कारण अपने कर्तव्य को भूल जाते हैं हम सही रास्ते में जाने की बजाय हम उस रास्ते से भटक जाते हैं जिसे कई लोगों को बहुत दुख होता है कई लोगों को मदद करने में हम पीछे हट जाते हैं कि नहीं तो हम मदद नहीं कर पाते हैं क्योंकि हम मोह में पड़ जाते हैं दोस्तों में पड़ जाने का और भी बहुत सारे नुकसान है उदाहरण के तौर पर कोई इंसान जब किसी स्त्री के मुंह में पड़ जाता है तो उसे उसे अपने माता-पिता का भी ख्याल नहीं रहता अपने माता-पिता को भी मारपीट करता है मुंह के कारण रिश्ते नातों को भी तोड़ने पर उतारू हो जाते हैं किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में ना काम हो जाने में भी मौका भूमिका होता है जिससे लाखों लोगों के कल्याण होने की बजाय उनका कल्याण हो जाता है दोस्तों। मुंह में पड़ जाने से इंसान का कार्य क्षमता कम हो जाता है उनमें आलसी भी पड़ जाता है कार्य करने की क्षमता भी घट जाती है कान्हा में भी पड़ जाता है वह डिप्रेशन में भी चला जाता है उससे से लोग ही आना शुरू हो जाता है जो अवगुण है इसके पश्चात कोई कार्य ठीक से ना होने के कारण उसमें क्रोध भी जन्म ले लेती है दोस्तों और क्रोध के भी आ जाने के कारण मद तथा मदसर भी उस इंसान पर लागू हो जाती है दोस्तों वह उसका सेवन करने के लिए मजबूर हो जाता है।
4. लोभ 
5. मद-
6. अहंकार


सात यौगिक चक्रों को जागृत करना या होना।
1. सहश्रार चक्र- चोटी का स्थान के पास ।
2.आज्ञा चक्र - दोनों भौंहों के बीच।
3. विशुद्धाख्य चक्र - कंठ में।
4.अनाहत चक्र-हृदय में।
5.मणिपुर चक्र - नाभिकेन्द्र में।
6.स्वाधिष्ठान चक्र - नाभि से नीचे।
7. मूलाधार चक्र - गुदा के पास।

कल्कि - कलह क्लेश से मुक्त करने वाला।

पृथ्वी अर्थात संसार अर्थात दुनिया।
 संसार के महाद्वीप -
दुनिया के सभी देशों के नाम - जानकारी।

हमारा अपना महाद्वीप -एसिया।

एशिया महाद्वीपों की देशों की संख्या -

फिर अपना देश-भारत।
भारत देश के राज्यों की संख्या।

झारखंड राज्य के जिलों की संख्या -

हमारा जिला रांची के प्रखण्डों की संख्या।

हमारा प्रखण्ड अनगड़ा के पंचायतों की संख्या।

हमारा पंचायत कुच्चू के गांवों की संख्या।

हमारा गांव हुण्डरू के टोंलो की संख्या।

गांव - टोंलों के घरों की संख्या।


दुनिया के सभी देशों के नाम - जानकारी।

स्वास्थ्य
स्वास्थ्य ही धन है।
शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए या होने के लिए  हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखना आवश्यक होता है।
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक आहार के साथ अनेक बिमारियों से बचने के लिए बिमारियों की जानकारी और उसका इलाज की जानकारी की आवश्यकता होती है।
बिमारी फैलता कैसे हैं - 
हम ( मनुष्य ) इससे कैसे बच सकता है।



कबीर अमृतवाणी-

वैश्य

2.वैश्य
शक्तिमान के साथ आदर्श।
1. झूठ नहीं बोलना।
2. चोरी नहीं करना।
3. हिंसा नहीं करना।
4. अपने से बड़े और बुजुर्गों की इज्जत करना।
5. दूसरों की मदद करना।
6. स्वावलंबी बनाना।
7. कभी नशा नहीं करना।

मनुष्य की मुलभूत चीजें भोजन वस्त्र मकान ।

कौशल क्षमता। की कार्यों में कौशोलिक।

शुद्र

1. शुद्र 
शक्तिमान के साथ आदर्शो के विपरीत होना।
1. झूठ नहीं बोलना।
2. चोरी नहीं करना।
3. हिंसा नहीं करना।
4. अपने से बड़े और बुजुर्गों की इज्जत करना।
5. दूसरों की मदद करना।
6. स्वावलंबी बनाना।
7. कभी नशा नहीं करना।






मनुष्य की मुलभूत चीजें भोजन वस्त्र मकान ।
1. भोजन
2. वस्त्र
3. मकान


नींद लेने का समय वह स्वभाव।

नींद से उठने का समय वह स्वभाव।

कौशल क्षमता। घरेलू काम काज का थोड़ा बहुत अनुभव।

सूर्योंदय के बाद उठना। सूर्योंदय के बाद उठने से आलस्य,प्रमाद वह तमोगुण बढ़ता है, आयुष्य नष्ट होता है।

सेवा देने का कार्य करना।
मजदुरी,पत्थर तोड़ने वाला,ईंट ढोने वाला। इत्यादि।

मोक्ष वेद

1. शुद्र   शक्तिमान के साथ आदर्शो के विपरीत होना। 1. झूठ नहीं बोलना। 2. चोरी नहीं करना। 3. हिंसा नहीं करना। 4. अपने से बड़े और ब...