चारों दिशाओं धरती आकाश और अंतरिक्ष को साक्षी मानकर जगत के सभी सजीव और निर्जीव जीव जंतुओं और वनस्पति को साक्षी मानकर भूत भविष्य और वर्तमान को साक्षी मानकर अंधकार से लड़ने वाले प्रकाश के प्रत्येक किरण को साक्षी मानकर, ब्रह्मांड की पंच तत्व-अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश को साक्षी मानकर मैं, प्रण लेता हूं। realshaktimaanofficial.blogspot.com is ranked #1 in the Arts and Entertainment/TV Movies,Computers Electronics Technology/Social Networks and Online Communities and #1 #2 #3 #4 Globally.
Sunday, February 26, 2023
Friday, October 7, 2022
Thursday, June 30, 2022
नीरज कुमार को गुम हुआ मोबाइल वापस किया गया। 30.06.2022
दिनांक - 30/06/2022
घाटो निवासी - पता- Niraj Kumar
12 No. Chowk
Ghato Tand
PO: Ghato Tand
West Bokaro Division
Ramgarh
PIN 825314
नीरज कुमार का मोबाइल 27 जून को झरने के नजदीक नहाते हुए तस्वीर खिंचने के दौरान मोबाइल पानी में गिर गया और पत्थर के बील में समा गया ।
ढुंढने की काफी कोशिश करने के बाद मोबाइल नहीं मिलने पर वे घर जाने लगे।
घर लौटने के दौरान आपस में बातचीत के दौरान मुझे पता चला।
फिर मैंने उन्हें विश्वास दिलाया कि अपना मोबाइल नंबर मुझे दे दिजिए और आप घर लौट जाइए।
मैं आपका मोबाइल निकालकर आपको फोन करूंगा।
फिर आप मोबाइल लेने यहां आ जाइएगा।
घना से घंटों पत्थर तोड़कर मोबाइल को निकाला और आज उन्हें वापस लौटा दिया।
Tuesday, June 8, 2021
-:कुछ अनमोल वचन संग्रह:-
1. पीने के लिए कोई चीज है तो क्रोध।
2. खाने के लिए कोई चीज है तो ग़म।
3. लेने के लिए कोई चीज है तो ज्ञान।
4. देने के लिए कोई चीज है तो दान।
5.कहने के लिए कोई चीज है तो सत्य।
6.दिखाने के लिए कोई चीज है तो दया।
7.छोड़ने के लिए कोई चीज है तो अहंकार।
8. परखने के लिए कोई चीज है तो बुद्धि।
9. रखने के लिए कोई चीज है तो मान।
10. संग्रह के लिए कोई चीज है तो विद्या।
11. सफलता के लिए कोई चीज है तो प्रशांत।
12.करने के लिए कोई चीज है तो सत्संग।
13. धारण करने के लिए कोई चीज है तो संतोष।
14. त्यागने के लिए कोई चीज है तो ईष्र्या।
15. जीतने के लिए कोई चीज है तो मन।
16.बोल सको तो मीठा बोलो कड़वा बोलना मत सीखो।
17.कमा सको तो पुण्य कमाओ पाप कमाना मत 18.सिखो। लगा सको तो पेड़ लगाओ आग लगाना मत सीखो।
19. बचा सको तो जीव बचाओ जीव मारना मत सीखो।
20. जला सको तो दीप जलाओ हृदय जलाना मत सीखो।
21. मिटा सके तो अहंकार मिटा वो प्यार मिटा ना मत सीखो।
22. दे सको तो जीवन दे दो जीवन लेना मत सीखो।
21. बोल सको तो सच बोलो झूठ बोलना मत सीखो।
22. माता-पिता की सेवा करो उन्हें दुखी करना मत सीखो।
23.इस तरह न कमाओ कि पाप हो जाए।
24. इस तरह ना खर्च करो कि कर्जा हो जाए।
25. इस तरह न खाओ कि मर्ज हो जाए।
26. इस तरह ना चलो कि देर हो जाए।
27. इस तरह न सोचो कि चिंता हो जाए।
28. पैसे से बिस्तर खरीद सकते हो नींद नहीं।
29.पैसे से भोजन खरीद सकते हो भूख नहीं।
30.पैसे से आदमी खरीद सकते हो वफादारी नहीं।
31. पैसे से मजबूरी खरीद सकते हो खुद्दारी नहीं।
32. पैसे से दवा कर सकते हो स्वास्थ्य नहीं।
33.पैसे से नौकर खरीद सकते हो सेवक नहीं।
34. पैसे से मूर्ति खरीद सकते हो भगवान नहीं।
35.पैसे से वेश्या कर सकते हो पत्नी नहीं।
36. पैसे से मकान जमीन खरीद सकते हो पर इज्जत नहीं।
-:तीन बातें:-
-:तीन बातें:-
1. तीन चीजें कभी छोटी न समझे शत्रु कर्जा और बीमारी।
2. तीन चीजें किसी की प्रतीक्षा नहीं करती- समय,मृत्यु और ग्राहक।
3. तीन चीजें भाई को भाई का दुश्मन बना देती हैं- जर जोरू और जमीन।
4. तीन चीजें याद रखना जरूरी है- सच्चाई कर्तव्य और मौत।
5. तीन चीजें असल उद्देश्य से रोकती हैं- बदचलनी गुस्सा और लालच।
6. तीन चीजें कोई दूसरा नहीं चुरा सकता है-अक्ल, चरित्र और हुनर।
7. तीन चीजें निकलकर वापस नहीं आती है- तीर कमान से, बात जुबान से और प्राण शरीर से।
8. तीन व्यक्ति वक्त पर पहचाने जाते हैं- स्त्री,भाई और मित्र।
9. तीन चीजें जीवन में एक बार मिलती हैं- मां, बाप और जवानी।
10. तीन चीजें कभी नहीं भूलनी चाहिए-कर्ज,मर्ज और फर्ज।
11. इन तीनों का सम्मान करो- माता,पिता और गुरु।
12. तीनों को हमेशा बस में रखो- मन,काम और लोभ। 13. तीन पर दया करो- बालक,भूखे और पागल।
Saturday, June 5, 2021
ब्राह्मण
4. ब्राह्मण
शक्तिमान के सात आदर्शों के पालन करने की साथ-साथ छः अवगुणों को नियंत्रित करना अनिवार्य है। साथ ही साथ क्षत्रिय श्रेणी के नियमों का पालन करना या अनुभवी होना।
भय,क्रोध,चिंता और खिन्नता को नियंत्रिण करना या मुक्त होना।
मनुष्य की मुलभूत चीजें भोजन वस्त्र मकान ।
सात यौगिक चक्रों को जागृत करना या होना।
यह योग, प्राणायाम,आसन, ध्यान जप,तप से संभव है।
कल्कि - कलह क्लेश से मुक्त करने वाला।
आध्यात्मिक शक्तियों के केन्द्र : यौगिक चक्र।
1. सहश्रार चक्र- चोटी का स्थान के पास ।
2.आज्ञा चक्र - दोनों भौंहों के बीच।
3. विशुद्धाख्य चक्र - कंठ में।
4.अनाहत चक्र-हृदय में।
5.मणिपुर चक्र - नाभिकेन्द्र में।
6.स्वाधिष्ठान चक्र - नाभि से नीचे।
7. मूलाधार चक्र - गुदा के पास।
प्रवचन -
न बोलने में नौ गुण:।
अनमोल वचन संग्रह।
मोक्ष से संबंधित प्रश्न और उसके जवाब।
ओम् नमः शिवाय।
गायत्री मंत्र।
क्षत्रिय
3. क्षत्रिय
शक्तिमान के साथ आदर्श।
1. झूठ नहीं बोलना।
2. चोरी नहीं करना।
3. हिंसा नहीं करना।
4. अपने से बड़े और बुजुर्गों की इज्जत करना।
5. दूसरों की मदद करना।
6. स्वावलंबी बनाना।
7. कभी नशा नहीं करना।
सुविचारों का संग्रह।
आध्यात्मिक कहानियां,गाने,भजन,गीत, कीर्तन।
मौसम - मौसम की जानकारी।
गीता ज्ञान - की निश्चित जानकारी।
शक्तिमान के साथ आदर्श।
काम,क्रोध,मोह,लोभ,मद तथा मत्सर पर नियंत्रण करना।
हमेशा मुख में 'ओम मंत्र' का गुंजना।
पंच ज्ञान इन्द्रियों में नियंत्रण।
ज्ञान इंद्रियां - आंख,नाक,कान,जीभ और त्वचा।
पंचतत्व - अग्नि,जल,वायु,पृथ्वी और आकाश।
मनुष्य की मुलभूत चीजें भोजन वस्त्र मकान ।
भय,क्रोध,चिंता और खिन्नता को नियंत्रिण करना या मुक्त होना।
यह छः अवगुणों पर नियंत्रण।
1. काम
2. क्रोध
3. मोह
4. लोभ
5. मद
6. मत्सर
चित्र, चलचित्र- आध्यात्मिक। पुराणें, रामायण, महाभारत, श्रीमद्भगवद्गीता।
श्रीमद्भगवद्गीता के अमृतपान से साहस,हिम्मत,समता,सहजता, स्नेह,शांति,धर्म आदि दैवी गुण विकसित होते हैं तथा अधर्म और शोषण और का मुकाबला करने का सामर्थ्य आ जाता है।
ब्राहमुहूर्त में उठना चाहिए। ब्राहमुहूर्त में उठने से आयु, बुद्धि,बल एवं अयोग्यता बढ़ती है।
वेदों का स्वाध्याय।
सूर्योपासना ( सूर्य-गायत्री मंत्र) सूर्य-नमस्कार।
योग,प्राणायाम,जप तप, ध्यान को अपने जीवन में अपनाना अनिवार्य।
योग- यौगिक क्रियाएं 2। यौगिक मुद्राएं 8। तन-मन के स्वास्थ्य हेतु सरल साधन - योगासन।18
प्राणायाम - जीवन में नवचेतना का स्रोत: प्राणायाम।
प्राणायाम का अर्थ है प्राणों का निर्माण।
जाबालोपनिषद् में प्राणायाम को समस्त रोंगो का नाशकर्ता बताया गया है। प्राणायाम के द्वारा हमारी प्राणशक्ति का अद्भुत विकास होता है।
जब योग और मुद्रा का अभ्यास किया जाता है, तो चक्र संतुलित हो जाते हैं और हमारी प्रणाली को शारीरिक और भावनात्मक दोनों ही तरह से एक स्थिर, संतुलित तरीके से कार्य करने में सक्षम बनाते हैं। इन में कुछ योग आसन शामिल हैं:
जब तक चक्र जागृत ना हो तब तक इंसान को उसके होने का पता भी नहीं चलता है। जब यह जागृत होता है तभी उस चक्र का होने का इंसान को अनुभव होता है।
परिभाषा।
1. काम - (आलस्य)
1. दोस्तों काम आधारित आलस्य आलस्य निर्धनता की जननी है आलस्य करने से मनुष्य का विभिन्न तरह से नुकसान होता है दोस्तों जैसे कि आपका कीमती सामान ही कहीं पढ़ा है और बारिश हो रहा हो जाए उसे चोरी होने की आशंका हो तो भी आप आलस्य के कारण आप उसे सुरक्षित स्थान पर नहीं रखते हैं ऐसे में वह सामान चोरी हो जाती हैं और आपका व कीमती सामान चोरी होने से आपका आर्थिक रूप से नुकसान होता है यह एक छोटी सी असावधानी के कारण आपकी आलस्य के कारण।
2. क्रोध
दोस्तों पीने के लिए कोई चीज है तो क्रोध। दोस्तों यह सत्य है परंतु यह कहां तक साथ है दोस्तों क्रोध मनुष्य को बहुत तरह से नुकसान पहुंचाता है दोस्तों क्रोध के कारण मनुष्य विभिन्न प्रकार से नुकसान कुछ मिलता है क्रोध के कारण कई बार रिश्ते नाते टूट जाते हैं। जिससे बाद में अपने क्रोध के कारण रिश्ते टूटने से हमें पछतावा होता है।
दोस्तों क्रोध के कारण कई बार हम कीमती सामानों को तोड़ देते हैं कई बार किसी अन्य के सामानों को भी तोड़ देते हैं क्रोध के कारण लोग अपने कीमती मोबाइल को भी तोड़ देते हैं टीवी को भी तोड़ देते हैं ऐसी बहुत सारे उदाहरण है दोस्तों कीमती सामानों को तोड़ते हैं नुकसान पहुंचाते हैं जबकि वह सामान हमारा अपना होता है और हमें आर्थिक रूप से नुकसान होता है और बाद में हम पछतावा होता है किसी और का भी सामान को क्षति पहुंचाते हैं जिससे हमें बाद में उसका भरपाई करना पड़ता है और इससे भी हमें पछतावा ही होता है दोस्तों।
3. मोह
दोस्तों कई बार हम मुंह में पड़ जाने के कारण अपने कर्तव्य को भूल जाते हैं हम सही रास्ते में जाने की बजाय हम उस रास्ते से भटक जाते हैं जिसे कई लोगों को बहुत दुख होता है कई लोगों को मदद करने में हम पीछे हट जाते हैं कि नहीं तो हम मदद नहीं कर पाते हैं क्योंकि हम मोह में पड़ जाते हैं दोस्तों में पड़ जाने का और भी बहुत सारे नुकसान है उदाहरण के तौर पर कोई इंसान जब किसी स्त्री के मुंह में पड़ जाता है तो उसे उसे अपने माता-पिता का भी ख्याल नहीं रहता अपने माता-पिता को भी मारपीट करता है मुंह के कारण रिश्ते नातों को भी तोड़ने पर उतारू हो जाते हैं किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में ना काम हो जाने में भी मौका भूमिका होता है जिससे लाखों लोगों के कल्याण होने की बजाय उनका कल्याण हो जाता है दोस्तों। मुंह में पड़ जाने से इंसान का कार्य क्षमता कम हो जाता है उनमें आलसी भी पड़ जाता है कार्य करने की क्षमता भी घट जाती है कान्हा में भी पड़ जाता है वह डिप्रेशन में भी चला जाता है उससे से लोग ही आना शुरू हो जाता है जो अवगुण है इसके पश्चात कोई कार्य ठीक से ना होने के कारण उसमें क्रोध भी जन्म ले लेती है दोस्तों और क्रोध के भी आ जाने के कारण मद तथा मदसर भी उस इंसान पर लागू हो जाती है दोस्तों वह उसका सेवन करने के लिए मजबूर हो जाता है।
4. लोभ
5. मद-
6. अहंकार
सात यौगिक चक्रों को जागृत करना या होना।
1. सहश्रार चक्र- चोटी का स्थान के पास ।
2.आज्ञा चक्र - दोनों भौंहों के बीच।
3. विशुद्धाख्य चक्र - कंठ में।
4.अनाहत चक्र-हृदय में।
5.मणिपुर चक्र - नाभिकेन्द्र में।
6.स्वाधिष्ठान चक्र - नाभि से नीचे।
7. मूलाधार चक्र - गुदा के पास।
कल्कि - कलह क्लेश से मुक्त करने वाला।
पृथ्वी अर्थात संसार अर्थात दुनिया।
संसार के महाद्वीप -
दुनिया के सभी देशों के नाम - जानकारी।
हमारा अपना महाद्वीप -एसिया।
एशिया महाद्वीपों की देशों की संख्या -
फिर अपना देश-भारत।
भारत देश के राज्यों की संख्या।
झारखंड राज्य के जिलों की संख्या -
हमारा जिला रांची के प्रखण्डों की संख्या।
हमारा प्रखण्ड अनगड़ा के पंचायतों की संख्या।
हमारा पंचायत कुच्चू के गांवों की संख्या।
हमारा गांव हुण्डरू के टोंलो की संख्या।
गांव - टोंलों के घरों की संख्या।
दुनिया के सभी देशों के नाम - जानकारी।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य ही धन है।
शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए या होने के लिए हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखना आवश्यक होता है।
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक आहार के साथ अनेक बिमारियों से बचने के लिए बिमारियों की जानकारी और उसका इलाज की जानकारी की आवश्यकता होती है।
बिमारी फैलता कैसे हैं -
हम ( मनुष्य ) इससे कैसे बच सकता है।
कबीर अमृतवाणी-
वैश्य
2.वैश्य
शक्तिमान के साथ आदर्श।
1. झूठ नहीं बोलना।
2. चोरी नहीं करना।
3. हिंसा नहीं करना।
4. अपने से बड़े और बुजुर्गों की इज्जत करना।
5. दूसरों की मदद करना।
6. स्वावलंबी बनाना।
7. कभी नशा नहीं करना।
मनुष्य की मुलभूत चीजें भोजन वस्त्र मकान ।
कौशल क्षमता। की कार्यों में कौशोलिक।
शुद्र
1. शुद्र
शक्तिमान के साथ आदर्शो के विपरीत होना।
1. झूठ नहीं बोलना।
2. चोरी नहीं करना।
3. हिंसा नहीं करना।
4. अपने से बड़े और बुजुर्गों की इज्जत करना।
5. दूसरों की मदद करना।
6. स्वावलंबी बनाना।
7. कभी नशा नहीं करना।
मनुष्य की मुलभूत चीजें भोजन वस्त्र मकान ।
1. भोजन
2. वस्त्र
3. मकान
नींद लेने का समय वह स्वभाव।
नींद से उठने का समय वह स्वभाव।
कौशल क्षमता। घरेलू काम काज का थोड़ा बहुत अनुभव।
सूर्योंदय के बाद उठना। सूर्योंदय के बाद उठने से आलस्य,प्रमाद वह तमोगुण बढ़ता है, आयुष्य नष्ट होता है।
सेवा देने का कार्य करना।
मजदुरी,पत्थर तोड़ने वाला,ईंट ढोने वाला। इत्यादि।
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मोक्ष वेद
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