चारों दिशाओं धरती आकाश और अंतरिक्ष को साक्षी मानकर जगत के सभी सजीव और निर्जीव जीव जंतुओं और वनस्पति को साक्षी मानकर भूत भविष्य और वर्तमान को साक्षी मानकर अंधकार से लड़ने वाले प्रकाश के प्रत्येक किरण को साक्षी मानकर, ब्रह्मांड की पंच तत्व-अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश को साक्षी मानकर मैं, प्रण लेता हूं। realshaktimaanofficial.blogspot.com is ranked #1 in the Arts and Entertainment/TV Movies,Computers Electronics Technology/Social Networks and Online Communities and #1 #2 #3 #4 Globally.
Thursday, May 27, 2021
चक्रवाती तूफान
Monday, May 24, 2021
युग श्रेणी क्या होता है ? मनुष्य किन रहस्यों का जवाब आसानी से जान सकता है?
Sunday, May 23, 2021
मनुष्य के लिए जीवन से जुड़ी जीवन की रहस्य का सवाल
मनुष्य के लिए जीवन से जुड़ी जीवन की रहस्य का सवाल।
1. मोक्ष प्राप्त करने के बाद फिर से आम इंसान बनकर जीवन को जीना कितना आसान या कठिन होता है?
2. मोक्ष प्राप्त करने का रास्ता क्या है?
3. मनुष्य भविष्य को कैसे जान जा सकता है?
4. मनुष्य वर्तमान को कैसे परिवर्तन कर सकता है?
5. मनुष्य के सुख-दुख क्या है?
6. मनुष्य जीवन के उतार चढ़ाव किसे कहते हैं?
7. मनुष्य को शांति की आवश्यकता क्यों होती है?
8. सत् ,चित,और आनंद किसे कहते हैं?
9. सत्यम् , शिवम् , सुन्दरता किसे कहते हैं?
10. मनुष्य अपने अस्तित्व को जानने के लिए ही धरती पर जन्म लेता है क्यों?
11. मनुष्य को नींद क्यों आती है
12. मनुष्य किताबी ज्ञान से दुनिया को जान लेता है परंतु स्वयं को नहीं जान पाता है क्यों?
13. मनुष्य जन्म और मृत्यु के बंधन में क्यों आते हैं?
14. पाप और पुण्य क्या है?
15. स्वर्ग और नरक का क्या अर्थ है?
16. सत्य का क्या अर्थ है?
17. मनुष्य के जीवन की रहस्य क्या है?
18. ईश्वर का क्या अर्थ है?
19. दुनिया में युग क्यों बदलता है?
20. वेद किसे कहते हैं?
21. वेदों का निर्माण क्यों किया गया है?
22. धर्म किसे कहते हैं?
23. संसार में कई धर्म है क्यों?
24. प्रेम और मोह का क्या अर्थ है?
25. कर्म की अनुभव से स्थिति श्रेणी प्राप्त करना और यज्ञ जप ध्यान से स्थिति या श्रेणी प्राप्त करने का क्या अर्थ है?
26. वेदों के अनुसार शिव का क्रोध से धरती कांप उठती थी क्यों?
27. रामायण में राम के क्रोध से धरती का कांपने का क्या अर्थ है?
28. अमरता किसे कहते हैं?
29. वेदों के अनुसार अमृत जल पीने से कोई भी अमर हो जाता था क्यों और कैसे?
30. जब ऐसी स्थिति आ जाती है जब धरती पर अत्याचार भ्रष्टाचार अनाचार शोषण और धर्म अधर्म में बदलने लगती है तो महान आत्मा का जन्म लेना आवश्यक हो जाता है क्यों?
31. मनुष्य की सुख दुख क्या है?
32. एक ही जगह एक ही तरीके से काम करते हुए आदमी में मनुष्य में खूब पैदा होती है इसलिए वह बदलाव चाहता है वह ना होने पर उनके अंदर तनाव पैदा होता है क्यों?
33. शिव ही प्रथम और शिव ही अंत है क्यों और कैसे?
34. शिव महाकालेश्वर हैं कैसे?
35. ब्रह्मा जो लिख देते हैं जीवन में वही होता है ऐसा कहा जाता है क्यों?
36. ब्रह्मचर्य के पहले और बाद में क्या था?
37. वह व्यक्ति अमरत्व प्राप्त कर लिया है जो सांसारिक वस्तुओं से व्याकुल नहीं होता है क्यों?
38. नारायण का क्या अर्थ है?
39. ईश्वर की प्रत्येक श्रेणी एक दूसरी श्रेणी से जुड़े रहते हैं क्यों और कैसे?
40. हमें हमेशा सकारात्मक सोच अपनाना चाहिए। क्यों?
41. अच्छाई और बुराई में ईश्वर निहित है कैसे?
माता पिता हमारे जन्मदाता है उनका प्यार भगवान से भी बढ़कर है इसलिए हमें उन्हें कभी दुख नहीं देना चाहिए क्यों?
42. मनुष्य द्वारा कोई भी शुभ कार्य उचित समय में करने के समय में उस कार्य को न कर पाना कली की रुकावट है क्योंकि मनुष्य में रहकर शुभ कार्य को भविष्य पर डाल देते हैं कैसे?
42. परमानंद अर्थात मोक्ष किसे कहते हैं?
43. युग कितने हैं?
44. वेद कितने हैं?
45. मनुष्य की श्रेणी कितनी है?
46. मनुष्य की कुंडलिनी शक्ति कितनी है?
47. शक्ति के बिना शिव ही शव है कैसे?
मनुष्य की मूलभूत चीज वस्त्र
मनुष्य की मूलभूत चीजें
मनुष्य की मूलभूत चीजें।
(1) भोजन, (2) वस्त्र और (3) मकान।
(1) भोजन
ऐसा कोइ भी पदार्थ जो शर्करा (कार्बोहाइड्रेट), वसा, जल तथा/अथवा प्रोटीन से बना हो और जीव जगत द्वारा ग्रहण किया जा सके, उसे भोजन कहते हैं। जीव न केवल जीवित रहने के लिए बल्कि स्वस्थ और सक्रिय जीवन बिताने के लिए भोजन करते हैं। भोजन में अनेक पोषक तत्व होते हैं जो शरीर का विकास करते हैं, उसे स्वस्थ रखते हैं और शक्ति प्रदान करते हैं। भोजन में ऊर्जा का त्वरित स्रोत है
अनुक्रम
1 भोजन के विविध अवयव
1.1 शक्तिदायक भोजन :
1.2 शरीर-निर्माण करने वाले भोजन:
1.3 संरक्षण देने वाले भोजन :
2 पोषकों के कार्य और उनके स्रोत :
2.1 प्रोटीन :
2.2 वसा :
2.3 कार्बोहाइड्रेट :
2.4 विटामिन
2.4.1 विटामिन ए :
2.4.2 विटामिन बी 1 (थायामिन)
2.4.3 विटामिन बी-2 (रिबोफ्लेविन) :
2.4.4 नियांसिन
2.4.5 विटामिन सी :
2.4.6 विटामिन डी :
2.5 कैल्शियम और फास्फोरस :
2.6 लौहतत्व :
3 भोजन से सम्बन्धित भारतीय ग्रंथ
4 इन्हें भी देखें
5 बाहरी कड़ियाँ
भोजन के विविध अवयव
भोजन में पाए जाने वाले आवश्यक तत्व हैं - कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा और तेल, विटामिन और खनिज। इसके अतिरिक्त भोजन में सभी पोषक तत्व होने चाहिए ; अर्थात् मांसपेशियों और उत्तकों को सबल बनाने के लिए प्रोटीन, ऊर्जा या शक्ति प्रदान करने के लिए कार्बोहाइड्रेट और वसा, मजबूत हडि्डयों और रक्त के विकास के लिए खनिज लवण और स्वस्थ जीवन एवं शारीरिक विकास के लिए विटामिन।
शरीर में विभिन्न पोषक तत्वों- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिज की आवश्यकता मनुष्य की आयु, लिंग, शारीरिक श्रम और शरीर की दशा पर निर्भर करती है। शारीरिक श्रम करने वाले एक मजदूर को दफ्तर में काम करने वाले व्यक्ति की अपेक्षा शक्ति प्रदान करने वाले भोजन की कहीं अधिक आवश्यकता होती है। गर्भवती औरतों और स्तनपान करने वाले बच्चों की माताओं को शारीरिक परिवर्तनों के कारण अधिक प्रोटीन और खनिजों की आवश्यकता होती है।
इसलिए यह जरूरी है कि हर व्यक्ति अपनी आयु, लिंग, काम की दशा आदि के अनुसार अपने भोजन में सभी आवश्यक पोषक तत्व शामिल करे। मनुष्य की इन आवश्यकताओं को पूरा करने वाले भोजन को संतुलित भोजन (बैलेंस्ड फुड) कहते हैं।
निम्नलिखित खाद्य वर्ग की वस्तुओं को सूझबूझ के साथ मिलाकर संतुलित भोजन तैयार किया जा सकता है।
शक्तिदायक भोजन :
कार्बोहाइड्रेट तथा वसा युक्त भोजन को शक्तिदायक भोजन कहते हैं। दालें, कन्दमूल, सूखे मेवे, चीनी, तेल और वसा इस वर्ग में आते हैं।
शरीर-निर्माण करने वाले भोजन:
अधिक प्रोटीन वाला भोजन शरीर निर्माण करने वाला भोजन कहलाता है। भारतीय नस्ल की देशी गाय का दुध, घी,दालें, तिलहन, गरी और कम वसा वाले तिलहनों के उत्पाद इस वर्ग में आते हैं।
संरक्षण देने वाले भोजन :
जिस भोजन में प्रोटीन, विटामिन और खनिज अधिक पाये जाते हैं उसे संरक्षण देने वाला भोजन कहते हैं। दूध और दूध के उत्पाद, अंडे, कलेजी, हरी पत्तेदार सब्जियाँ और फल इस वर्ग में आते हैं।
भारत में अधिकांश लोग अधिक अनाज खाते हैं और उनके भोजन में दूसरे शक्तिवर्द्धक तत्वों की कमी होती है। मोटे तौर पर भोजन में बदलाव लाकर उसमें सुधार किया जा सकता है, अर्थात् जहां कहीं भोजन में अन्न की अधिकता हो, अन्न की मात्रा कम की जाए और उसके बजाए भोजन में शरीर की प्रोटीन, विटामिन और खनिजों की आवश्यकता पूरी करने वाले तत्व बढ़ाए जाएं। जहां कहीं इस प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध हों उनसे और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रयोग से, परिरक्षित भोजन की सहायता से, पौष्टिक आहार में सुधार लाया जा सकता है। भोजन तैयार करने की सुधरी विधियों का प्रयोग करके भोजन पकाने के दौरान पोषक तत्वों को होने वाली हानि को रोका जा सकता है। भोजन को अधिक उबालने या तलने से बहुत से पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसलिए इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि खाना सही तरीके से पकाया जाए।
पोषकों के कार्य और उनके स्रोत :
प्रोटीन :
शरीर में उत्तकों, मांसपेशियों और रक्त जैसे महत्वपूर्ण द्रव्यों का निर्माण, संक्रमण का सामना करने के लिए इन्जाइम और रोग प्रतिकारक तत्वों के विकास में सहायता।
स्रोत :- ताजा या सुखाया हुआ दूध, पनीर, दही, तिलहन और गिरी, सोयाबीन, खमीर, दालें, मांस, कलेजी, मछली, अण्डे और अनाज।
वसा :
शक्ति के संकेिन्द्रत स्रोत का काम करना और घुलनशील विटामिनों की पूर्ति करना।
स्रोत : मक्खन, घी, वनस्पति तेल और वसा, तिलहन और गिरी, मछली का तेल और अण्डे की जर्दी।
कार्बोहाइड्रेट :
शरीर को शक्ति प्रदान करना।
स्रोत : अनाज, बाजरा, कन्दमूल जैसे कि आलू, चुकन्दर, अरवी
, टेपिओका आदि और चीनी तथा गुड़।
विटामिन
विटामिन ए :
शरीर की चमड़ी और श्लेष्म झिल्ली को स्वस्थ रखना और रात्रि अन्धता से बचाव।
स्रोत : मछली का तेल, कलेजी, दूध के उत्पाद -दही, मक्खन, घी- गाजर, फल और पत्तेदार सिब्जयां।
विटामिन बी 1 (थायामिन)
सामान्य भूख, पाचन शक्ति तथा स्वस्थ स्नायु प्रणाली और भोजन की शर्करा को शक्ति में बदलना।
स्रोत : कलेजी, अण्डे, फलियां, दालें, गिरी, तिलहन, खमीर, अनाज, सेला चावल।
विटामिन बी-2 (रिबोफ्लेविन) :
कोशिकाओं को आक्सीजन के उपयोग में सहायता देना, आंखों को स्वस्थ और साफ रखना तथा नाम मुंह के आसपास पपड़ी न जमने देना तथा मुंह के कोरों को फटने से बचाना।
स्रोत : दूध, सपरेटा, दही, पनीर, अण्डे, कलेजी और पत्तेदार सिब्जयां।
नियांसिन
चमड़ी, पेट, अंतिड़यों और स्नायु तंत्र को स्वस्थ रखना।
स्रोत : दालें, साबुत अनाज, मांस, कलेजी, खमीर, तिलहन, गिरी और फलियां।
विटामिन सी :
कोशिकाओं को मजबूत बनाना, रक्त वाहिक की भित्तियों को शक्तिशाली बनाना, संक्रमण की रोकथाम और रोग से जल्दी मुक्ति पाने की शक्ति प्रदान करना।
स्रोत : आंवला, अमरूद, नींबू की जाति के फल, ताजी सिब्जयं और अंकुरित दालें।
विटामिन डी :
शरीर को काफी मात्रा में कैिल्शयम ग्रहण करने और हड्डी मजबूत बनाने में सहायता देता है।
स्रोत : सूर्य का प्रकाश , मक्खन, अंडे , दूध, पनीर, मछली, तेल और घी।
कैल्शियम और फास्फोरस :
हडि्डयां और दांत बनाने, रक्त बढ़ाने तथा पेशियों और नाड़ियों को ठीक रूप् से काम करने में सहायक होता है।
स्रोत : दूध और इसके उत्पाद, पत्तेदार सिब्जयां, छोटी मछली और अनाज आदि।
लौहतत्व :
प्रोटीन के साथ मिलकर हीमोग्लोबीन (रक्त में एक लाल पदार्थ जो कोषिकाओं में आक्सीजन ले जाता है) बनाना।
स्रोत : कलेजी, गुर्दा, अंडे, सिब्जयां, तिलहन-गिरी, फलियां, दालें, गुड़, सूखे मेवे और पत्तेदार सिब्जयां।
(2)वस्त्र
मनुष्य को सचमुच मनुष्य और इंसानियत बनाए रखने के लिए वस्त्र मनुष्य का मूलभूत आवश्यकताएं हैं।
मनुष्य अपने शरीर के लिए आरामदायक वस्त्र पहनते हैं।
अलग-अलग ऋतु के अनुसार लोग अलग-अलग वस्त्रों को पढ़ाते हैं वस्तु का उपयोग करते हैं जो उनके लिए आरामदायक होता है।
वस्त्र या कपड़ा एक मानव-निर्मित चीज है जो प्राकृतिक या कृत्रिम तंतुओं के नेटवर्क से निर्मित होती है। इन तंतुओं को सूत या धागा कहते हैं। धागे का निर्माण कच्चे ऊन, कपास (रूई) या किसी अन्य पदार्थ को करघे की सहायता से ऐंठकर किया जाता है। एक फ्लेक्सिबल सामग्री है जिसमें कृत्रिम फायबर धागे का समावेश रहता है। लंबे धागे का उत्पादन करने के लिए ऊन, फ्लेक्स, सूती अथवा अन्य कच्चे तंतु कपाट्या से तैयार किए जाते हैं। कपडे बुनना, क्रॉसिंग, गाठना, बुनाई, टॅटिंग, फेलिंग, ब्रेडिंग करके कपडा तैयार किया जाता है।
(3) मकान
घर उस आवास या भवन को कहते हैं जो किसी मानव के निवास के काम आती हो। घर के अन्तर्गत साधारण झोपड़ी से लेकर गगनचुम्बी इमारतें शामिल हैं।
घर के विभिन्न भाग
प्रांगण (atrum)
अटारी (attic)
कुन्ज (alcove)
तलघर (basement)
स्नानगृह (bathroom)
शौचालय (toilet)
शयनकक्ष (bedroom)
शिशुकक्ष (nursery- infant bedroom)
रक्षागृह (conservatory)
भोजनकक्ष (dining-room)
बैठक (living-room/sitting-room/family-room)
प्रवेशकक्ष (foyer/ entrance hall)
यानगृह (garage)
गलियारा (hallway/passage)
रसोईघर (kitchen)
आहार-अलमारी (larder)
धुलाई कक्ष (laundry room)
पुस्तकालय (library)
स्वास्थ्य ही धन है।


मोक्ष वेद
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