Saturday, May 22, 2021

कोरोना एक शिव अस्त्र


https://youtu.be/TgDDDHOURtw
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कोरोना शिव अस्त्र

जब पुरी दुनिया में कोरोना का डर तेजी से फ़ैल रही हो तब कोई इंसान निर्भय और निडर कैसे हो सकता है।
इसका एक ही जवाब है -जो इंसान  ज्ञानी हो । वहीं मनुष्य ऐसी परिस्थिति में निर्भय और निडर रह सकता है।

उसी प्रकार से जब ईश्वर की कृपा न हो,भक्त भी ईश्वर को जान नहीं पाता है। 

आज कोरोना को समझने के लिए दुनिया भटक रही है। डाक्टर्स भटक रहे हैं। परन्तु कोरोना को समझ पाने में नाकाम है।
 हमारे मन की इच्छा शक्ति से कोऱोना कंट्रोल होता है।
इससे बचाव का एकमात्र उपाय है समर्पण, सरलता, मन में लड़ाई का विचार ना होना जिससे विपरीत परिस्थिति में भी मनुष्य में शांति बनी रहती है और मनुष्य में निर्भय और निडरता का भाव आ जाता है। आत्मविश्वास बढ़ता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
जिससे इंसान सुरक्षित हो जाता है।
वह प्रतिदिन की तरह सही निर्णय ले पाता है और जीवन को शांतिपूर्ण तरीके से जीता है।


जब हम इसे दुनिया को खुद से न बताएं तो दुनिया इसे जान भी नहीं सकती है।
 हमने फेसबुक हैंडल से पहले ही बता दिया था इसे आप भी मेरे फेसबुक पेज पर चेक कर सकते हैं कि भारत सरकार करोड़ों बार भी जन्म ले ले लेकिन राष्ट्रपति महोदय राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जांच पत्र जो पत्र मैंने जो शिकायत पत्र आदरणीय राष्ट्रपति के नाम लिखा था वह हमारे झारखंड राज्य के सूचना भवन में हमेशा के लिए अटक गया और उसका जांच कराने में सरकार असमर्थ हो जाएगी क्योंकि इसमें सरकार भी स्वयं ही संलिप्त है और शोषण और अत्याचार को बढ़ावा देने वाले दुष्ट लोग भी।

ऐसे में सवाल उठता है की सरकार को चाहे झारखंड सरकार या भारत सरकार। सरकार देश को किस दिशा की ओर ले जा रही हैं।

ऐसे में हमारे लिए (कोरोना शिव अस्त्र) का प्रयोग अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और हम कुछ क्षण के लिए विश्राम कर सकेंगे और परम शांति में लीन हो सकेंगे।



कोरोना एक डर है और डर मृत्यु के समान होता है।
डर से बाहर निकलना किसी भी इंसान के लिए आसान नहीं होता है और डर का सामना न कर पाने से ज्यादातर लोगों की मृत्यु हो जाती है।
दवाइयों से डर को मिटाया नहीं जा सकता । डर के कारण इंसान अकेला हो जाता है।
डर से हमारे शरीर में अनेक बदलाव होते हैं इससे हमारे शरीर में भाई क्रोध चिंता और खिन्नता का भाव उत्पन्न हो जाता है यह जैसे ही जैसे हमारे शरीर में मन मस्तिष्क में बढ़ता जाता है उसी के प्रकार से हमारे शरीर में अनेक बदलाव होते रहते हैं और हमारा शरीर कमजोर बन जाता है हम शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हो जाते हैं। तो यह मनुष्य के लिए काल बन जाता है। यही मृत्यु का कारण बन जाता है।
भाई क्रोध चिंता और खिन्नता से हमारे शरीर में रक्त संचार अनियमित हो जाती है जिससे हमारा शरीर मनुष्य का शरीर कमजोर हो जाता है शारीरिक रूप से भी कमजोर हो जाता है और मानसिक रूप से भी।
इससे मनुष्य और भी सिमटता चला जाता है।
उचित खान-पान न होने के कारण शरीर दिनों दिन और भी कमजोर होता चला जाता है और इंसान मृत्यु के करीब पहुंच जाता है प्राण त्यागने के करीब पहुंच जाता है।

इसी प्रकार से मेरे पिता स्व० बलराम बेदिया की मृत्यु हुई।
पर्यटनकर्मी राजकिशोर प्रसाद द्वारा मेरे पिता  स्व० बलराम बेदिया को धमकी दी गई थी ।
 मेरे द्वारा फुल बागवानी अर्थात पार्क के सामानों को राजकिशोर प्रसाद ने मेरे पिताजी द्वारा हटवाया।
SP,DSP का डर दिखाकर। जिसमें लाखों रूपयों का नुक़सान हुआ। इस साजिश में राजकिशोर प्रसाद सहित सिकिदिरी थाना के पुर्व थाना प्रभारी प्रवीण कुमार सिन्हा भी संलिप्त रहा।
गांव के ही कई दुष्ट लोगों के द्वारा साजिश बनाकर मेरे पिता के और कई  ग्रामीणों की मौजूदगी में मुझे सर्मिंदा किया गया।


हमने हमारे गांव का गुलाम और महागुलाम होने से संबंधित माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को पत्र लिखा।
प्रधानमंत्री कार्यालय से जांच पहुंचा ।
जांच करने हमारे प्रखंड कार्यालय से BDO संध्या मुण्डु जी बिना किसी सुचना के अचानक हमारे गांव पहुंचे।
करीब 1-2 से रहा था। इसके बाद सिकिदिरी थाना के पुलिस प्रशासन भी पहुंची।

बिना सुचना के जांच में आने आने से मेरे गांव में दो-चार ही लोग थे। फिर गांव के नजदीक हुण्डरू फांल  प्यर्टन स्थल पहुंचे। यहां प्यर्टनकर्मी राजकिशोर प्रसाद के परिवार के द्वारा शौचालय को व्यक्तिगत गोदाम बनाने का शिकायत पर जांच करना था। पर्याप्त लोग मौजूद न होने के कारण इसे झूठा साबित किया गया।

मैं समझ गया कि सिकिदिरी थाना  पुलिस प्रशासन भी हमारे गांव के गुलामी में संलिप्त हो चुका है। मेरे ही एक मुद्दा में। इस दौरान सिकिदिरी थाना प्रभारी प्रवीण कुमार सिन्हा ने मुझे कहा था कि इसका सादी करा दो तभी सुधरेगा।

यहां जांच पत्र में लिखा गया कि मैंने जो शिकायत लिखा था वह गलत पाया गया। मुझे उसमें हस्ताक्षर कराया गया।
मैंने हस्ताक्षर कर दिया।
इन सभी साजिशकर्ता को बाद में सबक सिखाएंगे।
क्योंकि सिर्फ कुछ माह पहले मेरे पिता स्व० बलराम बेदिया का साजिश के तहत मृत्यु हो चुकी थी। जिसमें प्यर्टनकर्मी
राजकिशोर प्रसाद और सिकिदिरी थाना प्रभारी श्री 
प्रवीण कुमार सिन्हा जी सामिल थे।

इस साजिश से बचने के लिए हमारे गांव के एक-दो पर्यटन कर्मी छोड़ सभी को दोषी ठहराया गया है।
मैंने RTI के माध्यम से सिकिदिरी थाना में जवाब मांगा तो 
हमारे गांव के प्यर्टनकर्मीयों का नाम आया।
जो निर्दोष हैं।

सिकिदिरी थाना में मैंने लिखित तौर पर शिकायत पत्र उपलब्ध कराने के लिए पत्र दिया तो मुझे गलत पत्र उपलब्ध कराया गया।
मैंने सिकिदीरी थाना में ही बोल दिया कि मुझे जानते नहीं हैं मैं देश का खजाना करा दुंगा।

मैंने आदरणीय राष्ट्रपति महोदय जी को पत्र लिखा- शिकायत पत्र लिखा मेरा गांव गुलाम ही नहीं बल्कि  निरन्तर अत्याचार और शोषण के कारण महागुलाम बना हुआ है।
राष्ट्रपति कार्यालय से जांच सूचना भवन ,रांची , झारखंड में हमेशा के लिए अटक गया।
इस जांच के होने से सभी दुष्ट लोग सलाखों के पीछे पहुंच जाते।

जांच नहीं होने के कारण मैंने निर्णय लिया कि मेरे कि मृत्यु हुई है। इसलिए फिलहाल मझे खुद को छोड़ अपने परिवार में अपनी मां को संभालना चाहिए।
मैं तो शिव का रूप,अवतार हुं। मुझे तो कुछ नहीं होगा।
मेरे परिवार में तीन सदस्य हैं ,मैं,मेरी मां और बहन।

दुष्ट लोगों और दुषमनों ने मुझे बताने, परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
कई कार्यो में साजिस के तहत विभिन्न तरह से मुझे,पीछे हटाने, मजबुर और कमज़ोर करने की कोशिश किया गया।

मुझे कई लाखों रुपए का नुक़सान भी हुआ।
'शक्तिमान' बनने के दौरान लिए गए प्रण के कारण मैं इन दुष्ट लोगों और दुषमनों के दैविक शक्ति का प्रयोग नहीं किया। अवतार भी हूं और कुछ मजबुरियां भी ।

14 मई 2017 में मेरे पिता की मृत्यु के बाद मैंने 3 साल का ब्रेक लेने का डिसिजन लिया।

मैंने मेरे गांव में प्यर्टन स्थल में प्यर्टनकर्मी राजकिशोर प्रसाद के खिलाफ भी मुख्यमंत्री सचिवालय झारखंड सरकार को पत्र लिखा।
झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री श्री रघुवीर दास जी थे।
शिकायत पत्र झारखंड सरकार के पर्यटन विभाग में जाकर हमेंशा के लिए अटक गया।

हमारे गांव में बाहरी लोगों का मेरे गांव में बसने के बाद अनेक शोषण और अत्याचार ,फुड डालों राज करो। कि निती अपनाई गई। इसके कारण गांव गुलाम बना हुआ था।
मेरे गांव के लोगों के अधिकारों का अधिकतर हनन और दोहन किया गया।
इसी प्रकार का शोषण मेरे परिवार के साथ हुआ। यह  साजिश के तहत किया गया । जिसकी उम्मीद ही नहीं थी।
मेरे परिवार की स्थिति गंभीर हो चुकी थी।
घर में 10 रूपये पैसे भी नहीं थे।

फिर मैं अपने वास्तविक स्वरूप, स्वरूप में चला गया और विचार विमर्श कर निर्माण लिया कि अब मुझे अपना रूद्र रूप दिखाने का समय आ गया है। अब मुझे अपनी दैविक शक्ति और शस्त्र का प्रयोग सकारात्मक है।

जिसे दुनिया में नाम मिला कोरोना
वह हमारे द्वारा चलाया गया अभेद अस्त्र शिव अस्त्र है।
जिसे (कोरोना शिव अस्त्र) कहा जा सकता है।
जिस तरह से राक्षसों ने शस्त्र से शिव पर प्रहार करने की कोशिश की तो वह प्रहार वापस उसी राक्षस पर हो जाता था। यह प्रकृति का स्वरूप है।
इसलिए ज्ञानी और अनुभवी व्यक्ति से सीखने की कोशिश करनी च
इंसान को ज्ञानी बनने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए ना की किसी ज्ञानी व्यक्ति को मूर्ख बनाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए और ने उसके साथ छल कपट करने की कोशिश करनी चाहिए। नहीं उसकी सरलता को उसकी कमजोरी समझना चाहिए।

1. इसमें मुझे ,झारखण्ड सरकार और भारत सरकार को सबक सिखाना होगा। क्योंकि सिस्टम में भ्रष्टाचार है।
तो गरीब,बेबस और लाचार आदिवासी लोगों का कौन सुनेगा।
ऐसे ही भ्रष्टाचार के कारण मेरा गांव गुलाम बना हुआ था।
और भारत का सिस्टम शिव अवतार को भी धोखा दे रहा है। इसलिए सबक सिखाना अनिवार्य हुआ।

2. मेरे परिवार में जैसी स्थिति उत्पन्न हुई वैसी स्थिति हमारे देश भारत सहित पुरी दुनिया में लागु हो। जिससे दुनिया तक को पता चले कि अत्याचार,शोषण और गुलामी क्या चीज़ होती है। 
दुनिया को यह पता चलें कि जीवन में पैसों का क्या मोल है। धन-दौलत कितना काम आता है।

हमने अपने और अपने परिवार के लाखों रूपयों का खर्च किया स्वयं को ज्ञानी और अनुभवी बनाने के लिए।

3. इस कलियुग में कल्कि ( कर्म के अनुसार नाम पड़ता है।)
अवतार होने के कारण मुझे इस युग को भी परिवर्तन करना था। इसलिए हमने युग परिवर्तन का भी निर्माण लिया।

4. अपनों को खोने का ग़म और दर्द मेरे परिवार ने सहन किया और कर रहा है। इसे पुरी दुनिया में लागु करने का निर्णय लिया। जो कांड हमारे परिवार में उत्पन्न हुई । उसे पुरी दुनिया में लागु करने का निर्णय लिया।

5. मेरे साथ साजिश के तहत की बार दुर्व्यवहार हुआ।
जिसमें दुष्ट लोगों के साथ पुलिस प्रशासन भी शामिल रही। कई बार सिकिदिरी पुर्व थाना प्रभारी प्रविण कुमार सिन्हा जी के द्वारा दुर्व्यवहार किया गया।



पुर्व थाना प्रभारी चन्द्रशेखर चौधरी जी ने 
थाना परिसर में धमकी दिया कि तुम जल्दी ही नप जाओगे। उस समय मैंने कुछ नहीं कहा।
और मन में सोचा कि हम शिव का अवतार हैं हमारे
क्रोध से अनजान हैं। जब हम नापेंगे ना पुरा भारत का सिस्टम नपा जाएगा और दुनिया नपा जाएगा।
अंतरिक्ष में भी उल्कापिंड पृथ्वी से टकराने के लिए उतारू हो जाएंगे।
दनिया में प्रलय आ जाएगा।

 एक बार थाना परिसर में मोटरसाइकिल का चाभी लेकर दुर्व्यवहार किया। मैंने मोटरसाइकिल थाने में छोड़कर अपने घर चला आया।

एक बार हुण्डरू पर्यटन स्थल से मेरे हाथ से मोबाइल छिनकर अपने साथ सिकिदिरी थाना ले गये।
कई बार दबंगई की।

इसलिए पुलिस विभाग को भी सबक सिखाने और कर्तव्यनिष्ठ बनाने का निर्णय लिया।

हमारी मन की शांति को भंग करने का अंजाम दुनिया में प्रलय ला सकती है। अंततः मुझे अपने अस्त्र का प्रयोग करना पड़ा । जिसका जिम्मेदार भारत का सिस्टम है। 

भारत सरकार के लिए यह कहावत ( अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना ) सही तौर पर सार्थक करती है।


मैं क्रोध करना नहीं चाहता हूं इसलिए किसी की सरलता को उसकी कमजोरी समझने की भूल ना करें किसी की सरलता उसकी कमजोरी नहीं होती है।

विनम्रता मनुष्य का उत्तम गुण होता है इसे भी किसी की कमजोरी समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।

कोरोना काल
कोरोना काल में प्रशासन सरकार और आम जनता के बीच कई प्रकार से झड़प विद्रोह को देखा गया
कई ऐसे मुद्दे देखे गए जिसमें पुलिस आम लोगों को मारपीट  कर रहा है।
कई बार लोगों ने पुलिस पर या अन्य लोगों ने पत्रकारों को कहा कि कोरोना कोई चीज नहीं है हमें कुछ नहीं होगा तो इसमें प्रशासन ही उस व्यक्ति के लिए काल बन गया एक बार एक रिपोर्टर ने उस व्यक्ति को ही थप्पड़ जड़ दिया और इसी प्रकार से दुनिया में मीडिया के माध्यम से सोशल मीडिया के माध्यम से डर दिन दुगनी रात चौगुनी लोगों के बीच फैलती गई लोगों में दहशत बनती गई लोगों में डर समाती गई और फिर डर अपना काम करती गई।

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